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पुणे की एक अदालत ने गुरुवार को हिंदू एकता अघाड़ी के नेता मिलिंद एकबोटे को 19 मार्च तक पुलिस हिरासत में भेज दिया. एकबोटे भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपियों में से एक हैं.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से एकबोटे की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद पुलिस ने बुधवार को पुणे स्थित उनके घर से उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.
एकबोटे को भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच शिवाजीनगर जिला अदालत में विशेष जज पीसी भागुरे के सामने पेश किया गया. लोक अभियोजन पक्ष के वकील उज्ज्वला पवार ने अदालत में दलील दी कि पुलिस को वह मोबाइल फोन बरामद करने के लिए एकबोटे की हिरासत चाहिए, जिससे उन्होंने कुछ लोगों से सम्पर्क किया था और निर्देश दिए थे. लेकिन एकबोटे पुलिस को जांच में सहयोग नहीं कर रहे.
उज्ज्वला पवार ने अदालत से यह भी कहा कि एकबोटे ने एक जनवरी को कार्यक्रम से कुछ दिन पहले भीमा कोरेगांव के नजदीक पेरने फाटा के पास स्थित सोनई होटल में एक बैठक आयोजित की थी, जहां उन्होंने कुछ पर्चियां बांटी थीं और लोगों को निर्देश दिये थे. उन्होंने कहा, ‘‘उस कंप्यूटर की हार्डडिस्क और प्रिंटर जिससे पर्चियां प्रिंट की गई थीं और मोबाइल बरामद करने के लिए पुलिस हिरासत की जरूरत है और पुलिस को यह पता लगाने की जरूरत है कि वे कौन लोग थे, जिन्हें एकबोटे ने फोन किया था और लगातार निर्देश दे रहे थे.''
पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की और एकबोटे से हिरासत में पूछताछ की मांग की. साथ ही उनकी अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया. अदालत ने उनसे हिरासत में पूछताछ की मांग मान ली और उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी.
बता दें कि पुणे जिले के भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास पिछले एक जनवरी को कथित रूप से हिंसा भड़काने के मामले में एकबोटे और हिंदूवादी नेता सांभाजी भिड़े के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी.
(इनपुट: भाषा)
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