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Bihar DGP को ठगने वाले अभिषेक अग्रवाल ने ATS DIG से मेरा इंटरव्यू फिक्स कराया था

Bihar का महाठग Abhishek Agrawal है हिस्ट्रीशीटर तो उसके यहां आने जाने वाले अफसर, नेताओं ने कभी चेक क्यों नहीं किया?

नीरज प्रियदर्शी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>अभिषेक अग्रवाल ने सिर्फ डीजीपी को ही ठगा है?</p></div>
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अभिषेक अग्रवाल ने सिर्फ डीजीपी को ही ठगा है?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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साल था 2017. मैं बिहार के एक डिजिटल चैनल में काम करता था. अभी जिस अभिषेक अग्रवाल पर बिहार के डीजीपी को ठगने का आरोप लगा है वो हमारे दफ्तर आया जाया करता था. मेरे संपादक ने मेरी उससे मुलाकात कराई. तब मुझे उस समय के एटीएस डीआईजी विकास वैभव का इंटरव्यू करना था. तब अभिषेक अग्रवाल ने वो इंटरव्यू फिक्स कराया था. मैं और मेरे संपादक दोनों अभिषेक की गाड़ी में बैठकर विकास वैभव के ऑफिस पहुंचे थे. डीजीपी के साथ जालसाजी का मामला सामने आने के बाद मैंने अपने पुराने संपादक से फोन पर बात की और अभिषेक अग्रवाल से संबंधों के बारे में पूछा.

संपादक कहते हैं,

“पिछले तीन-चार महीनों से मेरे और उनके संबंध बेहद खराब हो गए थे इसलिए मैं इस बारे में कुछ नहीं बोलूंगा.” हालांकि आर्थिक अपराध इकाई की जांच में यह निकलकर आया है कि पिछले छह महीनों में उनकी अभिषेक के साथ सैकड़ों बार बात हुई है.

इस डिजिटल चैनल के यू ट्यूब और फेसबुक पर लाखों फॉलोअर भी हैं. बिहार में इस वक्त अभिषेक अग्रवाल सबसे बड़ी खबर है लेकिन इस डिजिटल चैनल पर अग्रवाल से जुड़ी एक खबर नहीं है.

जब ये सब हुआ तो मेरे मन में कुछ सवाल उठने लगे, मैं सोचने लगा

  • आखिर इस चैनल पर अभिषेक की कोई खबर क्यों नहीं है?

  • अभिषेक अग्रवाल ने सिर्फ डीजीपी को ही ठगा है?

  • क्या अभिषेक अग्रवाल ने ठगी के ऐसे और कांड भी किए हैं?

  • आखिर ये अभिषेक अग्रवाल है कौन, इस शख्स की पूरी कहानी क्या है? क्या इसकी कोई हिस्ट्रीशीट है? आखिर अभिषेक को इतनी हिम्मत कहां से मिली कि वो चीफ जस्टिस बनकर सीधे एसपी, डीएसपी नहीं सीधे डीजीपी को फोन कर देता है और डीजीपी उससे ''सर, सर'' करके बात करते हैं?

  • अगर चीफ जस्टिस सही में भी डीजीपी को किसी आरोपी को छोड़ने कहेंगे तो उसे छोड़ दिया जाएगा?

  • इतने गंभीर मामले में सीएम क्यों कह रहे हैं कि डीजीपी दो रिटायर होने वाले हैं, भूल हो जाती है, जाने दीजिए?

इन सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश में मुझे कई दिन लगे और जो जानकारी मुझे मिली वो हैरतअंगेज और हताशा भरी थी.

अभिषेक अग्रवाल क्यों खबर में है?

नागरिक शास्त्र की किताबों में हमने पढ़ा है- “न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और प्रेस. लोकतंत्र इन चार खम्भों पर टिका है.”

लेकिन बिहार में जहां लोकतंत्र का जन्म हुआ माना जाता है, वहां के एक “ठग” ने ठगी के लिए इन चारों खम्भों में न सिर्फ सुराख किया बल्कि उनका दुनिया के सामने मजाक भी बना दिया.

पटना के अभिषेक अग्रवाल नाम के एक व्यक्ति ने भ्रष्टाचार के आरोपी अपने 'आईपीएस दोस्त' को बचाने के लिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का छद्म रूप धारण किया और मोबाइल पर बातचीत करके राज्य की पुलिस के मुखिया को फंसा लिया.

“ठग” के प्रभाव में आकर डीजीपी ने न सिर्फ आरोपी आईपीएस अफसर को शराबबंदी से जुड़े भ्रष्टाचार के केस में दोषमुक्त कर दिया, बल्कि उस अफसर की अगली पोस्टिंग का प्रोपोजल भी गृह विभाग और मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दिया.

कैसे हुआ मामले का खुलासा- हिमाकत ने पहुंचाया हवालात

हालांकि, मुख्यमंत्री सचिवालय के पास आरोपी आईपीएस अफसर की पोस्टिंग का प्रोपोजल जाते ही जालसाजी के इस मामले का पर्दाफास हो गया, क्योंकि ठग ने गलती कर दी. डीजीपी को फांसकर उसका आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि अपने आईपीएस दोस्त की पोस्टिंग जल्दी कराने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय के वरीय अधिकारियों को चीफ जस्टिस बनकर कॉल करने लगा.

भ्रष्टाचार के आरोपी आईपीएस अफसर के खिलाफ मामला शराबबंदी के उल्लंघन के केस से जुड़ा था और जांच रिपोर्ट में उनके खिलाफ आरोप सही पाए गए थे, फिर भी डीजीपी ने उन्हें दोषमुक्त करके तुरंत पोस्टिंग का प्रोपोजल भी भेज दिया. मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों को पहले से इस प्रोपोजल पर संदेह हो ही रहा था कि इसी बीच 12 अक्टूबर को अभिषेक अग्रवाल ने चीफ जस्टिस के रूप में गृह विभाग के एक वरीय अधिकारी पर दोस्त की जल्दी पोस्टिंग के लिए दबाव बनाने की कोशिश की तो शंका और गहरा गया.

मुख्यमंत्री सचिवालय ने मामले की जांच का ज़िम्मा आर्थिक अपराधी इकाई (EOU) को सौंपा तो इस पूरे षड्यंत्र का भेद खुल गया. अब ईओयू की जांच की जद में सिर्फ ठग और उसके आईपीएस दोस्त ही नहीं बल्कि स्वयं डीजीपी और पुलिस विभाग के आला अफसर समेत शहर के कुछ वरीय पत्रकार भी आ गए हैं.
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कौन है अभिषेक अग्रवाल?

राज्य की पुलिस के मुखिया को अपनी जालसाजी में फंसा लेने वाले ठग अभिषेक अग्रवाल को ईओयू ने गिरफ्तार कर लिया और उससे हुई पूछताछ और जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. पटना के एक्जिबिशन रोड में अभिषेक की मार्बल और टाइल्स की एक छोटी सी दुकान है. लेकिन यह उसकी पहचान नहीं है. अभिषेक ने राज्य के आईपीएस-आईएएस अधिकारियों, न्यायाधीशों, मंत्रियों-नेताओं और पत्रकारों से दोस्ती कर सोशल मीडिया के जरिए एक अलग पहचान बनाई है.

अभिषेक की फेसबुक प्रोफाइल से पता चलता है कि दो दर्जन से अधिक आईपीएस अफसरों, कुछ जजों और आईएएस अधिकारियों समेत कुछ मंत्रियों और यहां तक कि मुख्यमंत्री के साथ भी इसकी फोटो है. अपने पारिवारिक और व्यावसायिक आयोजनों में अभिषेक इन लोगों को आमंत्रित करता है, साथ ही इन इनके आयोजनों में भी मेहमान बनकर शामिल होता है.

हालांकि, इनके बीच क्या बातें हुई थीं, अब यह जांच का विषय है मगर यही तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करके अभिषेक ने अपनी छवि सिस्टम की एक शख्सितयत के तौर पर बना ली थी, जिसके प्रभाव में नए अधिकारी और नए नेता बड़ी आसानी से आ जाते.

अभिषेक अग्रवाल हिस्ट्रीशीटर है

आपको यह जानकर आश्चर्य और हैरत होगी कि पुलिस के आला अफसरों, जजों, अधिकारियों और मंत्रियों से संबंध रखने वाला अभिषेक पहले से ठगी और जालसाजी के कई मामलों में जेल जा चुका है और चार्जशीटेड है.

ईओयू की तफ्तीश के बाद यह निकलकर आया है कि साल 2018 में अभिषेक अग्रवाल ने देश के गृह मंत्री के पीएस का रूप धर कर अपना काम निकालने के लिए एमसीडी के अधिकारियों फोन किया था, इस मामले में वह तिहाड़ जेल भी जा चुका है.

इसके पहले साल 2014 में अभिषेक ने आईपीएस अफसर सौरभ शाह और उनके पिता को ब्लैकमेल करके लगभग एक करोड़ रुपए ठगे. इस मामले में भी वह चार्जशीटेड है. इसी तरह का एक और मामला अभिषेक के खिलाफ कोलकाता में भी दर्ज है जिसमें वह जेल जा चुका है.

आर्थिक अपराध इकाई के एसपी सुशील कुमार ने क्विंट को बताया-

अभिषेक के खिलाफ जितने भी आपराधिक मामले दर्ज हैं उन सबमें उसका मोडस ओपेरंडी (ठगी करने का तरीका) एक जैसा ही लगता है. वह पहले बड़े अधिकारियों से दोस्ती करता है, उनको समझता है, फिर अपने फायदे के लिए मोबाइल पर छद्म रूप धारण कर उन्हें ठगता है.
आर्थिक अपराध इकाई के एसपी सुशील कुमार

क्या बिहार के आईपीएस अफसरों, आईएएस अधिकारियों, जजों और मंत्रियों को अभिषेक के पुराने आपराधिक इतिहास की जानकारी नहीं थी? सिस्टम के सिरमौर लोग जब अभिषेक के साथ फोटो खिंचा रहे थे, जब उसके यहां कार्यक्रमों में जा रहे थे, जब वो इन लोगों के साथ फोटो अपने फेसबुक पर पोस्ट कर रहा था तो क्या किसी को एक बार भी नहीं लगा कि चेक करें कि आखिर ये शख्स है कौन?

  • क्या अभिषेक की हिस्ट्री पहले से पता थी?

  • लापरवाही में पता नहीं किया?

  • पता किया लेकिन कुछ मालूम नहीं चला?

  • या पता लगने के बाद यानी इसकी हिस्ट्री जानकर भी मिलते रहे?

इओयू के एसपी आईपीएस सुशील कुमार कहते हैं, “यह सब अनुसंधान का विषय है. किसके साथ उसके संबंध कैसे थे, यह जांच में निकलकर आ जाएगा”.

यूपीएससी पास करके अफसर बनना चाहता था

आर्थिक अपराध इकाई की पूछताछ में अभिषेक ने अपने बारे में बताया है कि वह यूपीएससी पास करके अफसर बनना चाहता था. ये नहीं कर सका तो एमबीए करके मार्बल के पुश्तैनी व्यवसाय में लग गया. चूंकि बड़ा अफसर बनने की तमन्ना पहले से थी, इसलिए बाद में बड़े अफसरों के साथ दोस्ती करके अपना काम निकालने लगा.

यदि अभिषेक की दोस्ती और संबंधों की बात करें तो उसके फेसबुक पेज को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है.

चर्चित आईपीएस अफसर और बिहार होमगार्ड के नए आईजी विकास वैभव को अभिषेक अग्रवाल अपना गुरु और पथप्रदर्शक बताता है. जिस वक्त अभिषेक चीफ जस्टिस का रूप धर कर डीजीपी और गृह विभाग के अधिकारियों को मोबाइल पर हड़का रहा था (ऐसा FIR में दर्ज है), विकास वैभव तब गृह विभाग के विशेष सचिव थे. विकास वैभव के साथ अभिषेक अग्रवाल की आत्मीयता वाली सैकड़ों तस्वीरें पिछले तीन-चार सालों के दौरान उसकी फेसबुक टाइमलाइन पर है. इसके अलावा उसकी तस्वीरें नीचे जिन लोगों के नाम लिखे हैं उनके साथ भी हैं-

  • पटना के पूर्व एसएसपी उपेंद्र प्रसाद शर्मा

  • गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार

  • गया एसपी राकेश कुमार

  • चेन्नई के डीसीपी अभिनव कुमार

  • पूर्व आईपीएस और वर्तमान में बिहार सरकार के मद्य निषेध निषेध उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार

  • आईपीएस शिवदीपलांडे

  • आईएएस रंजीत कुमार

  • शिक्षा मंत्री विजय चौधरी

  • हाई कोर्ट के जस्टिस विनोद कुमार सिन्हा

  • पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराकिशोर प्रसाद

  • राज्यपाल फागु चौहान

  • सीएम नीतीश कुमार

बिहार के पूर्व होम सेक्रेट्री और IPS वैभव कुमार के साथ अभिषेक अग्रवाल

(फोटो- facebook/Abhishek Agarwal)

IPS आदित्या कुमार के साथ अभिषेक अग्रवाल

(फोटो- facebook/Abhishek Agarwal)

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अभिषेक अग्रवाल

(फोटो- facebook/Abhishek Agarwal)

गया के एसपी राकेश कुमार और और IPS भरत सोनी के साथ अभिषेक अग्रवाल

(फोटो- facebook/Abhishek Agarwal)

(फोटो- facebook/Abhishek Agarwal)

इसके अलावा दर्जनों अफसरों और मंत्रियों के साथ तस्वीरें अभिषेक के फेसबुक पेज पर नजर आती हैं. ऊपर लिखे सभी नामों के साथ ऐसी तस्वीरें एक से ज्यादा मौकों की हैं. आप सारी तस्वीरें उसके फेसबुक पेज पर जाकर देख सकते हैं.

ये मुलाकातें ही ठगी का हथियार थीं?

जब से अभिषेक अग्रवाल की जालसाजी का मामला सुर्खियों में आया है, तब से उन लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं जिनके साथ तस्वीरें उसने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर साझा कर रखी थीं.

आर्थिक अपराध इकाई ने अभिषेक के सारे मोबाइल फोन जब्त किए हैं और जांच में यह भी आया है कि जिन लोगों के साथ उसकी तस्वीरें हैं उनमें से अधिकांश से वह लगातार फोन पर भी बात करता रहा है.

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ ओझा कहते हैं-''मार्बल का व्यवसाय करते हुए यह अधिकारियों के घरों तक आसानी से पहुंच गया और हाई कोर्ट के दो-तीन जजों, कुछ वरिष्ठ पुलिस अफसरों और आईएएस अधिकारियों तथा पत्रकारों के साथ बहुत अच्छे संबंध बना लिए.''

अभिषेक की सोशल मीडिया प्रोफाइल उसकी ताकत थी और मुलाकात वाली तस्वीरें ठगी के लिए उसका हथियार थीं. अपनी प्रोफाइल पर आला अधिकारियों, जजों, मंत्रियों-नेताओं के साथ तस्वीरें लगाकर वह दूसरे अधिकारियों पर अपना प्रभाव जमाता था. उनके साथ बातचीत करते उन्हें समझता था और फिर उन्हें ठगता था.
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ ओझा

मीडिया का इस्तेमाल

इस आर्टिकल की शुरुआत में मैंने जिस चैनल की कहानी आपको सुनाई, वो बताता है कि अभिषेक का मीडिया में भी रसूख था. उसने पत्रकारों को भी फांसा. आर्थिक अपराध इकाई की जांच में अभिषेक से लगातार बातचीत करने वाले कुछ पत्रकारों और संपादकों के नाम भी सामने आए हैं.

यह लोकतंत्र का मजाक क्यों है?

एक ठग ने दिखा दिया कि राज्य की न्यायपालिका, विधायिका, कार्यपालिका और प्रेस की कार्यशैली, उसके बैरिकेड्स कितने खोखले हैं और उसे कितनी आसानी से तोड़ा जा सकता है. अभिषेक अग्रवाल ने जो किया वो हमारे सिस्टम के मुंह पर तमाचा तो है ही, लेकिन अब इसपर कार्रवाई के मामले में सरकार और पुलिस प्रशासन का जो स्टैंड है वह मजाक जैसा लगता है.

''रिटायर होने वाले हैं जाने दीजिए''

अग्रवाल के बारे में जब पत्रकारों ने बिहार के सीएम नीतीश से सवाल पूछा तो उनका जवाब ये था-

डीजीपी दो महीने में रिटायर हो जाएंगे. अब अगर त्रुटि हो गई तो क्या करिएगा? बाकी सारा काम तो ये लोग बहुत अच्छे से करते ही हैं.

सवाल ये है कि क्या कोई अफसर जल्द रिटायर होने वाला है तो उसकी गलती को (इतनी बड़ी गलती को) इग्नोर कर देना चाहिए?

इस मामले में डीजीपी ने कहा है -

इस मामले में तिल का ताड़ बनाया जा रहा है. यह गंभीर मसला है जिसका अनुसंधान चल रहा है, समय आने पर सारे बिंदुओं पर जवाब देंगे.

ये भी एक तथ्य है कि जिस अनुसंधान की बात डीजीपी कर रहे हैं वो अनुसंधान उन्हीं के अधीन आने वाली आर्थिक अपराध इकाई कर रही है.

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