Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बिहार: डिप्टी CM पद के लिए न चुना जाना इन दो नेताओं को खला होगा!

बिहार: डिप्टी CM पद के लिए न चुना जाना इन दो नेताओं को खला होगा!

बीजेपी में संगठन के अंदर ही डिप्टी सीएम पद के लिए कई दावेदार दिखते हैं

वैभव पलनीटकर
भारत
Published:
बिहार के दो डिप्टी CM
i
बिहार के दो डिप्टी CM
(फोटो- क्विंट हिंदी)

advertisement

बिहार चुनाव नतीजों के बाद ये साफ हो गया था कि इस बार बीजेपी बिहार सरकार में बड़े भाई की भूमिका में रहने वाली है, कयास तो यहां तक लगाए जाने लगे कि बीजेपी कहीं अपने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी न ठोकने लगे. लेकिन इन कयासों को खुद पीएम मोदी ने विराम दिया. बिहार चुनाव जीतने के बाद धन्यवाद कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सार्वजनिक मंच से साफ कर दिया कि NDA के नेतृत्व वाली इस सरकार में नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे. लेकिन इस बार अखाड़े की जगह मुख्यमंत्री का पद नहीं था बल्कि उपमुख्यमंत्री के दो पद थे. बीजेपी में संगठन के अंदर ही इस पद के लिए कुछ और दावेदार दिखते हैं.

बिहार में बीजेपी ने इस बार उत्तर प्रदेश जैसा प्रयोग करते हुए दो उपमुख्यमंत्री बनाए हैं. कटिहार सीट से चुनाव जीतने वाले तारकिशोर प्रसाद बेतिया से लगातार पांचवीं बार चुनकर आने वालीं रेणु देवी को बीजेपी ने उपमुख्यमंत्री पद से नवाजा है.

सुशील मोदी आउट, तारकिशोर प्रसाद इन

जिस तरह पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे वैसा ही हुआ, और सुशील मोदी को इस बार उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. तारकिशोर प्रसाद को इस बार बीजेपी ने सुशील मोदी की जगह दी है. वैश्य समाज से आने वाले तारकिशोर प्रसाद की बीजेपी संगठन के अंदर अच्छी पकड़ मानी जाती है. वे कटिहार से चौथी बार विधायक बने हैं. तारकिशोर को पार्टी की तरफ से भी विधायक दल का नेता चुना गया है. तारकिशोर शांत स्वभाव के हैं लेकिन पार्टी का पक्ष मजबूती के साथ रखते हैं.

रेणु देवी ने बिहार की पहली महिला उपमुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया है. वो बेतिया से लगातार पांचवीं बार चुनकर आई हैं. रेणु अति पिछड़ा वर्ग के तहत नोनिया समुदाय से आती हैं और बिहार बीजेपी की महिला विंग में काफी लंबे वक्त से काम करती रही हैं और उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है.

सुशील का पत्ता कटने से नीतीश भी खुश नहीं

सुशील मोदी का बिहार सरकार से पत्ता कटने के बाद नीतीश कुमार की गुमसुम प्रतिक्रिया रही. सुशील मोदी के उपमुख्यमंत्री ना बनने का सवाल पत्रकारों ने नीतीश कुमार से पूछा तो उन्होंने कहा कि-

ये भारतीय जनता पार्टी का फैसला है. हमारा गठबंधन है, हम लोग मिलकर काम करते हैं, मिलकर काम करेंगे.
नीतीश कुमार, सीएम, बिहार

बीजेपी की मनमर्जी का साफ असर

साफ है कि उपमुख्यमंत्री पद के नाम फाइनल करने में बीजेपी ने अपनी मनमर्जी से फैसला लिया है और नीतीश कुमार के बयान से भी यही संकेत मिल रहा है. बीजेपी अपने बड़े भाई के रोल में आ चुकी है और भले ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हों लेकिन अपनी पसंद से दो मुख्यमंत्री चुनकर बीजेपी ने जिस तरह से सरकार का गठन किया है वो ये संकेत देता है कि सरकार की लगाम बीजेपी के पास रहने वाली है.

अगला सवाल उठता है कि क्या बिहार बीजेपी के आंतरिक समीकरण क्या कहते हैं. सुशील मोदी जो 2005 के बाद लगातार बीजेपी की तरफ से उपमुख्यमंत्री रहे. मुख्यमंत्री की रेस में भी जिनका नाम गाहे बगाहे आता रहा क्या उनको पद न दिए जाने से पार्टी में कोई रोष तो नहीं है? और उपमुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदारों का सीवी कितनी दमदार थी? और क्या पदों के बंटवारे में बीजेपी जातीय समीकरण साध पाई है?

अगर पिछड़ी जातियों को ही साधना था तो और भी थे विकल्प

बीजेपी ने डिप्टी सीएम के दोनों पद पिछड़ी जाति (एक OBC, एक EBC) से आने वाले नेताओं को दिए हैं और माना जा रहा है कि बीजेपी ऐसा करके पिछड़ी जाति के वोटरों को साधना चाहती है. लेकिन राजनीतिक गलियारों और पार्टी के अंदर चर्चा है कि अगर पिछड़ी जाति के ही नेता तो उपमुख्यमंत्री बनाना था तो पटना साहिब सीट से लगातार सातवीं बार जीतने वाले नंदकिशोर यादव को डिप्टी सीएम क्यों नहीं बनाया गया.

नंदकिशोर यादव बिहार बीजेपी के दिग्गज नेता हैं, पिछले सरकार में उनके पास PWD सरीखा भारी महकमा था और शपथ ग्रहण के पहले संभावितों की लिस्ट में भी उनका नाम सबसे उपर था. कई मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अब नंदकिशोर को विधानसभा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अति पिछड़ा वर्ग से प्रेम कुमार की थी प्रबल दावेदारी

अति पिछड़ा वर्ग से आने वाली रेणु सिंह को बीजेपी ने दूसरा डिप्टी सीएम बनाया गया है. लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि अगर अति पिछड़ा वर्ग से ही बीजेपी को कोई नाम चुनना था तो ज्यादा अहम दावेदारी डॉ प्रेम कुमार की भी बनती थी. डॉ प्रेम कुमार बिहार की गया सीट से लगातार 30 सालों से जीतते आ रहे हैं. प्रेम कुमार चंद्रवंशी समाज से आते हैं और उन्हें ही EBC पॉलिटिक्स का शिल्पकार माना जाता है. पिछली नीतीश सरकार में भी वो कृषि और पशुपालन मंत्री रह चुके हैं. जब नीतीश कुमार ने आरजेडी के साथ करीब 2 साल के लिए सरकार बनाई थी तो प्रेम कुमार बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी थे. तो इस तरह से कई लोगों का मानना है कि डिप्टी सीएम पद के लिए प्रेम कुमार की दावेदारी ज्यादा प्रबल थी.

मंगल पांडे को शामिल कर समीकरण बैलेंस किए जा सकते थे

अगड़ों के प्रतिनिधित्व भी एक अहम बिंदू है, जिसको लेकर विचार किया जाना चाहिए था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछड़ा वर्ग से आते हैं. एक उपमुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग से और एक उपमुख्यमंत्री अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं. तो ऐसे में कइयों का मानना ये भी है कि तीन में से एक पद कम से कम किसी सामान्य वर्ग के नेता को दी जानी चाहिए थी.

बीजेपी में अगड़ी जाति के नेताओं में सबसे बड़ा नाम है- मंगल पांडे. आरएसएस और ABVP से ताल्लुख रखने वाले मंगल पांडे बिहार बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं. साथ ही वे पिछली नीतीश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी थे. संगठन से लेकर सरकार में मंगल पांडे को अच्छा खासा अनुभव भी है और उनकी योग्यता भी काफी है.

हालांकि मंगल पांडे को सुशील मोदी का करीबी माना जाता है. मंगल पांडे को चुनाव लड़ने और लड़ाने का भी अच्छा अनुभव है. लेकिन फिर भी बीजेपी ने उन्हें बतौर उपमुख्यमंत्री नहीं चुना.

हो सकता है चुनाव नतीजे आने के बाद से जिस साइलेंट वोटर के जुमले को बार-बार दोहराया जा रहा है और एनडीए की जीत के पीछे महिला वोटों की लामबंदी को अहम माना जा रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने एक उपमुख्यमंत्री महिला बनाने का फैसला किया हो.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT