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बिहार: सर्जरी के बाद निकालनी पड़ी थीं 16 लोगों की आंखें, अब हॉस्पिटल सील

मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद करीब 30 लोगों की आंख की रोशनी चली गई थी. मामले में एक जांच समिति का गठन भी हुआ है.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>16 लोगों की आंख निकाले जाने के बाद मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल सील&nbsp;</p></div>
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16 लोगों की आंख निकाले जाने के बाद मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल सील 

(फोटो- क्विंट हिन्दी)

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बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में एक चैरिटेबल अस्पताल ने आंखों के ऑपरेशन में गंभीर लापरवाही की थी. अब अस्पताल पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए इसे सील कर दिया है.

22 नवंबर को बिहार में मुजफ्फरपुर के 'मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल' में 65 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद, बहुत सारे लोगों की आंखों में इन्फेक्शन फैल गया था. इसके बाद 16 लोगों की आंखें भी निकालनी पड़ी थीं. वहीं करीब 30 लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी.

पीड़ित लोगों में से 9 लोगों की हालत गंभीर होने के चलते उन्हें पटना भेजा गया था.

2 दिसंबर को इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी. जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया था. कार्रवाई के दौरान कलेक्टर और डीएसपी के नेतृत्व में पुलिस अमला भी घटनास्थल पर मौजूद रहा.

मामले की जांच करने के लिए बनाई गई टीम

क्विंट से बात करते हुए मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉक्टर विनय शर्मा ने बताया कि इस पूरे मामले की गहनता से जांच के लिए चार सदस्य डॉक्टरों की टीम बनाई गई है. साथ ही अस्पताल के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है.

उन्होंने आगे बताया कि जांच कर रही टीम की प्राइमरी रिपोर्ट आ गई है और हमने थाना को रिपोर्ट दे दी है. हालांकि उनसे रिपोर्ट के बारे में फिलहाल ज्यादा कुछ नहीं पता चल सका.

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कहां हुई थी लापरवाही

डॉक्टर आशीष कहते हैं कि जब ये कहा जाता है कि आंखों में पस आ गया, जिसकी वजह से आंख निकालनी पड़ेगी, ये इस वजह से होता है कि डॉक्टरों के द्वारा जो सामान इस्तेमाल में लाया जाता है उसमें से कोई एक सामान उस दिन फॉल्टी रहा होगा.

इस स्थिति में एक डॉक्टर होने की वजह से मेरे पास ऐसा कोई तरीका नहीं है कि पता लगाया जा सके कि सामान अच्छा है या खराब. कंपनियों के द्वारा जो सामान बनाया जाता है उसपर लिखा जाता है कि ये सामान स्टरलाइज हैं, मतलब इसमें कोई इंफेक्शन नहीं है, लेकिन उसके बाद भी कैसे इंफेक्शन हुआ?

जांच टीम के सदस्य और मुजफ्फरपुर के एडिशनल चीफ मेडिकल अफसर (ACMO) डॉक्टर सुभाष से जब हमने जानने की कोशिश की कि चूक कहां हुई तो उन्होंने कहा, "चूक तो हुई है, लेकिन किस स्तर पर हुई है ये अभी नहीं कह सकते हैं. जांच के लिए मरीजों का स्वैब रिपोर्ट अभी नहीं आया है. माइक्रोबाइलोजी रिपोर्ट बाकी है. इसके आने में 72 घंटे का समय लगता है. लेकिन इसके अलावा हम लोग डॉक्टरों की भी जांच कर रहे हैं, जो डॉक्टर ऑपरेशन में शामिल थे उनसे हमारी मुलाकात नहीं हुई है, क्योंकि डॉक्टर डरे हुए हैं, FIR के डर से मिल नहीं रहे हैं. साथ ही डॉक्टरों की डिग्री की भी जांच होनी है. लेकिन जहां तक मुझे जानकारी है, जो डॉक्टर भी शामिल थे वो बारीक काम करने वाले हैं. बहुत सा ऑपरेशन किया है उन लोगों ने. इसलिए अभी कुछ भी कहना मुश्किल है."

पढ़ें ये भी: बिहार:मोतियाबिंद सर्जरी के बाद 15 लोगों की आंख क्यों निकालनी पड़ी, कहां हुई चूक?

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Published: 05 Dec 2021,08:39 AM IST

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