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जनंसख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) पर बिहार में बीजेपी और सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) आमने-सामने नजर आ रहे हैं. नीतीश कुमार जहां महिलाओं की शिक्षा के मुद्दे को जनसंख्या से जोड़ रहे हैं, वहीं उनकी सहयोगी पार्टी बीजेपी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के हां में हां मिला रही है.
नीतीश कुमार के बयान के बाद अब बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार और यूपी जैसे राज्यों को जनसंख्या नियत्रण के लिए प्रभावी और व्यावहारिक कानून की जरूरत है. बिहार सरकार को ‘एक बच्चे के मानदंड’ का पालन करना चाहिए.
नीतीश कुमार ने जनसंख्या कानून पर कहा था,
अब नीतीश कुमार के बयान को समझने के लिए महिलाओं की साक्षरता और प्रजनन दर के रिश्ते को भी समझना होगा. क्या सच में इन दोनों का आपस में कोई संबंध है? आइए आपको राजनीतिक बयानबाजी के बीच बिहार में जनसंख्या बढ़ोतरी और प्रजनन दर के बारे में बताते हैं.
दरअसल, बिहार की महिलाओं (15-49 साल) का प्रजजन दर (fertility rate) भारत में सबसे ज्यादा 3 है. आसान भाषा में समझें तो प्रजनन दर का मतलब होता है कि एक औरत औसतन कितने बच्चे पैदा करती है. भले ही बिहार में प्रजनन दर देश में सबसे ज्यादा हो, लेकिन पिछले 5 सालों में इसमें गिरावट दर्ज की गई है.
अब आते हैं महिलाओं की शिक्षा पर. नीतीश कुमार कह रहे हैं कि महिलाएं शिक्षित होंगी तो प्रजनन दर भी सुधरेगा. ऐसे में अगर लड़कियों या महिलाओं की शिक्षा की बात करें तो राज्य में पिछले पांच सालों में 10वीं पास महिलाओं की संख्या में छह फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
बता दें कि बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर नीतीश कुमार के बयान पर उपमुख्यमंत्री रेणु देवी और बीजेपी के कई नेताओं ने असहमति जताई थी. रेणु देवी ने कहा था कि महिलाओं से ज्यादा पुरुष का शिक्षित होना जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरूरी है. हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान पर यू टर्न लेते हुए कहा कि मैं मुख्यमंत्री को धन्यवाद देना चाहती हूं. महिला शिक्षा के लिए उन्होंने जो कदम उठाए वो सराहनीय हैं. केंद्र का भी इस काम में सहयोग मिल रहा. राज्य में महिला शिक्षा दर बढ़ा है, प्रजनन दर भी कम हुआ है. ये और कम हो इसके लिए शिक्षा बहुत जरूरी है.
वहीं बिहार में पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार में नगर निकाय चुनाव में पहले से ही दो बच्चे का फॉर्मूला लागू है. मतलब कानून में दो से अधिक बच्चे वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. ऐसे में जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें पंचायत चुनाव भी नहीं लड़ने दिया जाना चाहिए. बिहार में अगस्त महीने में पंचायत चुनाव हो सकते हैं.
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