उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून (population control) को लेकर योगी सरकार ने ड्राफ्ट तैयार किया है. अगर ये ड्राफ्ट कानून के रूप में बदलता है तो उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जिनके पास दो से अधिक बच्चे होंगे, वे न तो सरकारी नौकरी के लिए योग्य होंगे और न ही कभी चुनाव लड़ पाएंगे.
राज्य विधि आयोग ने यूपी जनसंख्या विधेयक 2021 का ड्राफ्ट तैयार किया है. जिसमें सुझाव दिए गए हैं कि एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता पिता को कई तरह की सुविधाएं दी जाएं, वहीं दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जाए.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर 2021-30 के लिए जनसंख्या नियंत्रण पर अपनी नई नीति का अनावरण करेगी.
उत्तर प्रदेश के एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, राज्य की कुल प्रजनन दर वर्तमान में 2.7 प्रतिशत है जबकि आदर्श रूप से यह 2.1 प्रतिशत से कम होनी चाहिए. इसी को देखते हुए ये ड्राफ्ट तैयार किया गया है.
ड्राफ्ट में क्या है?
ड्राफ्ट में एक बच्चे की पॉलिसी स्वीकार करने वाले बीपीएल श्रेणी के माता-पिता को खास तौर पर प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा गया है.
कानून लागू होने के बाद, जो कोई भी दो बच्चे के मानदंड का उल्लंघन कर दो से अधिक बच्चे पैदा करता है तो सरकारी नौकरियों में आवेदन और प्रमोशन का मौका नहीं मिलेगा. 77 सरकारी योजनाओं और अनुदान का लाभ भी नहीं मिलेगा.
इतना ही नहीं, उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने की सिफारिश इस प्रस्ताव में की गई है.
साथ ही अगर यह ड्राफ्ट कानून की शक्ल लेता है तो एक साल के अंदर सभी सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, स्थानीय निकाय में चुने जनप्रतिनिधियों को शपथ पत्र देना होगा कि वह इसका उल्लंघन नहीं करेंगे.
कानून लागू होते समय अगर दो ही बच्चे हैं और शपथ पत्र देने के बाद तीसरी संतान पैदा होती है तो प्रतिनिधि का निर्वाचन रद्द करने और आगे चुनाव ना लड़ने देने का प्रस्ताव भी रखा गया है.
वहीं सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन रोकने और बर्खास्त करने की भी सिफारिश है.
नसबंदी करवाने पर इंक्रीमेंट
ड्राफ्ट के दूसरे चैप्टर में प्रोत्साहन से संबंधित है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों और आम जनता दोनों के लिए दो बच्चे, एक बच्चे को अपनाने और स्वेच्छा से नसबंदी कराने के प्रावधान पर चर्चा की गई है.
स्वैच्छिक नसबंदी कराने वाले सरकारी कर्मचारी को पूरी सेवा के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि (इंकरीमेंट), प्लाट या घर खरीदने में सब्सिडी, उपयोगिता शुल्क में छूट और राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत ईपीएफ में 3 प्रतिशत की वृद्धि का प्रावधान हो सकता है. इसके अलावा केवल एक बच्चा करने वाले दंपत्ति के लिए कुछ विशेष प्रावधान भी हो सकते हैं. लाभार्थी बाकी लाभों के साथ पूरे वेतन और भत्तों के अलावा 12 महीने के लिए मातृत्व/पितृत्व अवकाश (मैटरनिटी/पैटरनिटी लीव) के लिए भी पात्र होंगे.
अगर कोई कर्मचारी एक बच्चे के बाद स्वैच्छिक नसबंदी करवाता है तो इंसेंटिव बढ़ेगा. इंसेंटिव में एक बच्चे के लिए ग्रैजुएशन लेवल तक मुफ्त शिक्षा और सरकारी नौकरियों में वरीयता शामिल है. ड्राफ्ट बिल में बालिकाओं के मामले में उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप का प्रस्ताव है.
सरकार ने मांगे हैं सुझाव
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण कानून के तैयार मसौदे में इस तरह के कई प्रस्ताव रखे हैं. आयोग ने इस ड्राफ्ट पर लोगों ने आपत्तियां व सुझाव भी मांगे हैं, जो 19 जुलाई तक आयोग को ई-मेल (statelawcommission2018@gmail.com) या फिर डाक के जरिए भेजे जा सकते हैं. अगर योगी सरकार इस फॉर्मूले को हरी झंडी दे देती है तो फिर यूपी में जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम माना जाएगा.
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