Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बिलकिस बानो केस में 'गुजरात निर्णय लेने में सक्षम नहीं', SC में जजों ने क्या कहा?

बिलकिस बानो केस में 'गुजरात निर्णय लेने में सक्षम नहीं', SC में जजों ने क्या कहा?

Bilkis Bano Case: अदालत ने सभी 11 दोषियों दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Breaking: बिलकिस बानो केस के दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सोमवार को SC का फैसला</p></div>
i

Breaking: बिलकिस बानो केस के दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सोमवार को SC का फैसला

फोटो- क्विंट हिंदी

advertisement

"राज्य, जहां किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए गुजरात राज्य सक्षम नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र सरकार सक्षम है." ये बात सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सोमवार (8 जनवरी) को बिलकिस बानो केस (Bilkis Bano Case) में फैसला सुनाते हुए कही.

दरअसल, गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो सहित कई हत्याओं और सामूहिक दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

सुनवाई के दौरान अदालत में क्या हुआ?

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की अदालत ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि गुजरात सरकार फैसला देने में सक्षम नहीं थी. उन्होंने कहा कि ने सभी 11 दोषी दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करें.

दोषियों को 2008 में मुंबई (महाराष्ट्र) की एक ट्रायल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

गुजरात सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने कहा कि 1992 की छूट नीति के अनुसार दोषियों को राहत दी गई.

हालांकि, 2014 में एक कानून द्वारा बनाई गई नीति थी, जो मृत्युदंड अपराध के मामलों में रिहाई को रोकती है.

इस पर एएसजी ने कहा, " दोषियों को 1992 की नीति के तहत माना गया क्योंकि उन्हें 2008 में दोषी ठहराया गया था."

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह इस अदालत का कर्तव्य है कि वह मनमाने आदेशों को जल्द से जल्द सही करे और जनता के विश्वास की नींव को बरकरार रखे. सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को दो सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया.

अगस्त में शुरू हुई 11 दिनों की लंबी सुनवाई के बाद, जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने 12 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके अलावा, अदालत ने गुजरात और केंद्र सरकार को उनके पास उपलब्ध मूल रिकॉर्ड जमा करने का भी निर्देश दिया.

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति नागरत्ना ने शास्त्रीय यूनानी दार्शनिक प्लेटो का हवाला देते हुए कहा, "दंड प्रतिशोध के लिए नहीं बल्कि रोकथाम और सुधार के लिए दिया जाना चाहिए.प्लेटो ने अपने ग्रंथ में तर्क दिया है कि जहां तक संभव हो कानून देने वाले को उस डॉक्टर का अनुकरण करना चाहिए जो अपनी दवा का प्रयोग केवल दर्द के लिए नहीं, बल्कि रोगी का भला करने के लिए करता है."

सजा का यह उपचारात्मक सिद्धांत दंड की तुलना दंडित किए जाने वाले के लिए दी जाने वाली दवा से करता है. इस प्रकार, यदि कोई अपराधी ठीक हो सकता है, तो उसे शिक्षा और अन्य उपयुक्त कलाओं द्वारा सुधारा जाना चाहिए और फिर सेट किया जाना चाहिए एक बेहतर नागरिक के रूप में स्वतंत्र और राज्य पर कम बोझ. यह अभिधारणा छूट की नीति के केंद्र में है.
न्यायमूर्ति नागरत्ना

उन्होंने न केवल सजा का सुधारवादी सिद्धांत, बल्कि उन्होंने पीड़ितों और पीड़ित परिवारों के न्याय के अधिकारों और दोषियों को उनकी सजा में छूट या कमी करके दूसरा मौका देने के प्रतिस्पर्धी हितों की ओर इशारा करते हुए फैसले की प्रस्तावना भी की.

एक महिला सम्मान की हकदार है, भले ही उसे समाज में कितना ही ऊंचा या नीचा क्यों न माना जाए या वह किसी भी धर्म को मानती हो या किसी भी पंथ को मानती हो. क्या महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों में छूट दी जा सकती है? ये ऐसे मुद्दे हैं जो उठते हैं.
न्यायमूर्ति नागरत्ना

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि गुजरात राज्य द्वारा शक्ति का प्रयोग शक्ति को हड़पने और शक्ति के दुरुपयोग का एक उदाहरण है.

शीर्ष अदालत ने कहा, "हम इस मामले में जनहित याचिकाओं की विचारणीयता के संबंध में उत्तर देना आवश्यक नहीं समझते हैं. इसलिए, छूट के आदेशों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका की विचारणीयता के संबंध में प्रश्न को किसी अन्य उचित मामले में विचार करने के लिए खुला रखा गया है." .

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT