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TDP के जो चार राज्यसभा सांसद बीजेपी में आए, उनमें से दो को बीजेपी खुद ‘आंध्र के माल्या’ बता चुकी है. फिर बीजेपी की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह इन दोनों सांसदों को अपनी पार्टी में मंजूर कर रही है.
दरअसल, इसके पीछे है राज्यसभा में बहुमत का गणित. लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बावजूद बीजेपी उच्च सदन यानी कि राज्यसभा में बहुमत से दूर है.
टीडीपी के चार सांसदों (सीएम रमेश, टीजी वेंटकेश, जी मोहन राव और वाईएस चौधरी) का बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद राज्ससभा में पार्टी की संख्या अब 75 हो गई है. वहीं एनडीए की बात करें, तो ये संख्या 106 है. यानी इन चार सांसदों के आने से एनडीए बहुमत के थोड़ा और करीब आ गया है.
फिलहाल राज्यसभा की 9 सीटें खाली हैं. इनमें बिहार की 2, गुजरात की 2, ओडिशा की 4 और तमिलनाडु की 1 सीट शामिल है. बिहार, गुजरात और ओडिशा की विधानसभा सीटों के गणित के हिसाब से बीजेपी का दावा मजबूत है. इस हिसाब से खाली 9 में से 5 राज्यसभा सीटें NDA के खाते में जा सकती हैं.
ऐसे में राज्यसभा में एनडीए की संख्या 111 हो जाएगी. लेकिन 123 बहुमत तक पहुंचने के लिए एनडीए को थोड़ा इंतजार करना होगा.
राज्यसभा में खाली 9 सीटों में से 5 हासिल करने के बाद एनडीए को बहुमत तक पहुंचने के लिए सिर्फ 12 सासंदों की जरूरत होगी. अगले साल जुलाई तक 18 राज्यों की 60 राज्यसभा सीटें खाली हो जाएंगी. इनमें से फिलहाल एनडीए के राज्यसभा में 27 सदस्य हैं. लेकिन चुनाव बाद एनडीए को सिर्फ 25 सीटें मिलने की उम्मीद है. यानी कि एनडीए को 2 सीटों का नुकसान.
मौजूदा हाल की तरह इन राज्यों में सरकार बनी रही, तो एनडीए को 14 सीटें मिल सकती है. अगर ऐसा हुआ, तो राज्यसभा में एनडीए की 12 सीटें और बढ़ जाएंगी. लेकिन बहुमत से एनडीए अभी भी दो सीट दूर रहेगी.
राज्यसभा की कुल 245 सीटों में फिलहाल 9 खाली हैं. 236 सीटों पर चार नोमिनेटिड सदस्यों के अलावा 30 राजनीतिक दलों के सदस्य राज्यसभा में हैं. सबसे ज्यादा 75 सीटें बीजेपी के पास है. इसके बाद कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा 48 सीटें हैं.
AIADMK, AITC, SP के 13-13 सदस्य राज्यसभा में हैं. TRS, JDU, IND के 6-6 और CPI(M), BJD, RJD के पास 5-5 राज्यसभा सांसद है.
बाकी पार्टियों की राज्यसभा संख्या यहां देखिए-
सरकार के पास संविधान में संशोधन करने और नए कानून बनाने का अधिकार होता है. लेकिन इसके लिए विधेयक को पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में पास कराना अनिवार्य होता है. पिछली एनडीए सरकार का राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से मोटर व्हीकल एक्ट, नागरिकता संशोधन विधेयक, भूमि अधिग्रहण विधेयक, तीन तलाक जैसे विधेयक लागू नहीं हो पाए थे.
नॉर्थ के ज्यादातर राज्यों में अपना कब्जा जमाने के बाद बीजेपी की नजर अब नॉर्थ ईस्ट और साउथ के राज्यों पर है. ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू के गढ़ बंगाल और आंध्र प्रदेश में अपने कदम जमाने की बीजेपी कोशिश लगातार जारी है. इन दोनों राज्यों के विपक्षी नेता अपनी पार्टी छोड़कर धीरे-धीरे बीजेपी में शामिल हो रहे हैं.
इनके अलावा दक्षिण के दूसरे राज्य जैसे कर्नाटक में भी स्थिति ऐसी ही है. लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी बीजेपी को बहुमत हासिल करने के लिए दक्षिण के राज्यों से दूसरी पार्टी के नेताओं को अपने पाले में लाने की पुरजोर कोशिश जारी है.
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