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कर्नाटक में बीफ बैन की तैयारी, देश में सबसे कड़ी सजा मुमकिन

बीफ बैन पर स्टडी और पुराने बिल को वापस लाने के लिए कर्नाटक सरकार ने बनाई टीम

अरुण देव
भारत
Published:
कर्नाटक सरकार ने बनाई टीम
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कर्नाटक सरकार ने बनाई टीम
(फोटो: iStock)

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कर्नाटक के तत्कालीन राज्यपाल के खारिज किए जाने के नौ साल बाद, विवादित कर्नाटक प्रिवेंशन ऑफ स्लॉटर एंड प्रिजरवेशन ऑफ कैटल बिल वापस लौट सकता है. इस बिल को बीजेपी साल 2010 में लायी थी. इसके कुछ प्रावधान राज्य में अनिवार्य रूप से बीफ को बैन कर सकते हैं.

कर्नाटक कैबिनेट में मंत्री सीटी रवि ने क्विंट को बताया कि एक टीम दूसरे राज्यों में लाए गए इसी तरह के कानून को देख रही है, और उनकी जांच के बाद, 2010 के इस बिल को वापस लाया जा सकता है.

किसी भी गोवंश के मांस को बीफ के रूप में परिभाषित करने वाले इस ड्राफ्ट बिल के क्लॉज 5 में, बीफ की बिक्री, इस्तेमाल और रखने पर रोक का प्रस्ताव है. इतना ही नहीं, इस प्रस्ताव में बीफ को बेचने और रखने पर एक साल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना भी है.

मंत्री ने बताया कि प्रस्ताव पर काम कर रही टीम की सिफारिशें 2010 के बिल में शामिल की जाएंगी. उन्होंने कहा, 'हम देश में कठोर गो-हत्या विरोधी कानून बनाना और उसे यहां लागू करना चाहते हैं.'

2010 में, जब बीजेपी सत्ता में थी, तब इस बिल को कर्नाटक के तत्कालीन राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने खारिज कर दिया था. इसके बाद 2013 में सिद्धारमैया की कांग्रेस सरकार ने इसे कैंसल कर दिया था.
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1964 बिल vs 2010 बिल

(फोटो: ट्विटर/@BSYBJP)

कर्नाटक में पहले से ही गोवंश-हत्या विरोधी बिल है- कर्नाटक प्रिवेंशन ऑफ काउ स्लॉटर एंड कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट, 1964. इसके प्रावधानों में हालांकि, केवल गाय, बछड़े और मादा भैंस की हत्या ही शामिल है.

ये कानून सांड, बैल और भैंस की हत्या की इजाजत देता है, बशर्तें, उसकी उम्र 12 साल से ऊपर हो और भैंस ब्रीडिंग या दूध निकालने योग्य न बची हो. स्लॉटर के लिए संबंधित प्रशासन से सर्टिफिकेट लेने की भी जरूरत होती है.

2010 में बीजेपी ने जिस बिल का प्रस्ताव दिया था, वो गाय और गोवंश के बीच का अंतर मिटा देता है. इस बिल में सभी तरह के गोवंश की हत्या, जिसमें भैंस भी शामिल है, उसे अपराध बनाता है.

दोनों में सबसे बड़ा अंतर, सजा का है. 1964 एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर अधिकतम 6 महीने की सजा और 1,000 रुपये जुर्माना था. वहीं, 2010 के ड्राफ्ट में, गोवंश की हत्या पर 1 साल से लेकर 7 साल तक की सजा और 25,000 से 50,000 तक के जुर्माना का प्रावधान है.

दूसरी या बार-बार ऐसा करने पर कैद की सजा के साथ-साथ 50,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये का जुर्माना होगा. ये देश के किसी भी दूसरे राज्य से ज्यादा है.

नया कठोर बिल प्रस्तावित

बीजेपी की गोरक्षा सेल ने बुधवार, 29 अगस्त को मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को ज्ञापन देकर राज्य में गोहत्या के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की.

2018 विधानसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में बीजेपी ने कर्नाटक में गोहत्या के खिलाफ कड़े से कड़ा कानून लाने का वादा किया था. गोरक्षा ग्रुप की मांग को देखते हुए, इस कानून को सपोर्ट मिलने की उम्मीद है.

क्योंकि गोहत्या विरोधी बिल बीजेपी के घोषणापत्र का हिस्सा रहा था, 2010 के इस कानून की वापसी की उम्मीद कई लोगों को है. हालांकि, बीजेपी राज्य इकाईं की गोरक्षा सेल ने गोहत्या की रोकथाम पर विधेयक का एक नया मसौदा पेश किया.

इस प्रस्ताव को बीजेपी विधायक डी वेदव्यास कामथ, सुनील कुमार, उमानाथ कोटियन और रघुपति भट का समर्थन प्राप्त है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी नए ड्राफ्ट बिल पर जोर दे रही है, जो 2010 के बिल से ज्यादा सख्त है.

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