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हिजाब पर BJP MLA के कमेंट से विवाद, सफाई में बोले-हमारे भी बच्चे लहंगा-चुन्नी पहनकर आएंगे

Balmukund Acharya : विधायक के बयान के विरोध में छात्राओं और उनके परिजनों ने सोमवार को थाने के बाहर प्रदर्शन किया.

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<div class="paragraphs"><p>"हमारे भी बच्चे लहंगा-चुन्नी पहनकर आएंगे"- बालमुकुंद आचार्य, हिजाब पर क्या बोले?</p></div>
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"हमारे भी बच्चे लहंगा-चुन्नी पहनकर आएंगे"- बालमुकुंद आचार्य, हिजाब पर क्या बोले?

फोटो- FB/Balmukund Acharya

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राजस्थान के जयपुर (Jaipur) के हवामहल सीट से बीजेपी विधायक बालमुकुंद आचार्य ने एक सरकारी स्कूल के वार्षिक प्रोग्राम में हिजाब को लेकर एक विवादित बयान दिया. जिसके बाद 29 जनवरी की सुबह बड़ी संख्या में स्कूल की छात्राओं ने सुभाष चौक थाने को घेर सड़क जाम कर दी और जमकर नारेबाजी की. उन्होंने विधायक से माफी मांगने और उनके खिलाफ एफआईआर की मांग की.

सहायक पुलिस आयुक्त (उत्तर) डॉ. हेमंत जाखड़ ने बताया कि स्कूल में एक कार्यक्रम के दौरान विधायक के बयान के विरोध में छात्राओं और उनके परिजनों ने थाने के बाहर प्रदर्शन किया.

उन्होंने कहा कि छात्राओं और उनके परिजनों की मांग है कि विधायक को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने बताया कि इस संबंध में उन्होंने शिकायत भी दर्ज कराई है.

"हिजाब को स्कूल में अनुमति नहीं देंगे"- बालमुकुंद आचार्य

प्रदर्शन कर रही लड़कियों ने मीडिया से कहा, "विधायक बालमुकुंद आचार्य वार्षिक समारोह में भाग लेने के लिए हमारे स्कूल आए थे. हमने उनका स्वागत किया. हमें बताया गया कि हिजाब की अनुमति नहीं है. उन्होंने कहा कि हिजाब पहनकर लड़कियां कैसे सांस ले सकती हैं. उन्होंने कहा- हिजाब को स्कूल में अलाऊ नहीं करेंगे. उन्हें माफी मांगनी चाहिए."

बालमुकुंद आचार्य ने सफाई में क्या कहा?

जब हवामहल सीट से विधायक बालमुकुंद आचार्य से मुस्लिम छात्राओं के विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल से ड्रेस कोड के नियमों के बारे में पूछा था.

"मैंने स्कूल के प्रिंसिपल से पूछा है कि जब 26 जनवरी को कोई कार्यक्रम होता है या सरकारी स्कूल में कोई वार्षिक उत्सव होता है, तो क्या दो अलग-अलग ड्रेस का प्रावधान है? प्रिंसिपल ने ना कहा और कहा कि छात्र इसका पालन नहीं करते हैं."
बालमुकुंद आचार्य

बीजेपी विधायक ने कहा कि स्कूल में कार्यक्रम के दौरान लड़कियां या तो हिजाब में थीं या फिर बुर्के में. आचार्य ने कहा, वहां दो तरह का माहौल दिख रहा था. इसलिए मैंने प्रिंसिपल से ड्रेस कोड के बारे में पूछा था. उन्होंने कहा, स्कूलों में दो तरह के ड्रेस कोड क्यों हैं? मैं मदरसों में नहीं गया और उनसे ड्रेस बदलने के लिए नहीं कहा. उनके अपने नियम हैं.

मामले के तूल पकड़ते देख बाद में बालमुकुंद आचार्य ने एक वीडियो जारी कर अपनी स्थिति स्पष्ट की. उन्होंने कहा , मैंने प्रिंसिपल से पूछा था कि क्या उनके दो अलग-अलग ड्रेस कोड हैं. जब गणतंत्र दिवस समारोह या कोई सरकारी समारोह आयोजित किया जाता है, तो क्या कोई अलग ड्रेस कोड होता है? इस तरह तो हमारे बच्चे भी लहंगा चुन्नी में आएंगे.

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"कुछ लोग राजनीति कर रहे"

मंगलवार को बालमुकुंद आचार्य ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि उनकी मुस्लिम लड़कियों से बातचीत हुई है और विरोध केवल वे लोग कर रहे हैं जो राजनीति कर रहे हैं.

"यह कुछ लोगों द्वारा किया गया है जो राजनीति कर रहे हैं. मैंने लड़कियों से बात की और उनके साथ अच्छी बातचीत हुई. हमने पीएम मोदी की योजनाओं और उनकी पढ़ाई के बारे में बात की...सच्चाई यह है कि गणतंत्र दिवस, बसंत उत्सव, वार्षिक समारोह या स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसरों पर वहां ड्रेस कोड का पालन नहीं किया जाता... छात्र बुर्का और हिजाब में क्यों आते हैं? यह नया नियम और कानून क्या है?... के लिए एक अलग मदरसा है कि...मैंने स्कूल प्रशासन से केवल छात्रों से बात करने और उन्हें समझाने का अनुरोध किया है...मैं सीएम से आग्रह करूंगा कि सभी स्कूलों में एक ड्रेस कोड लागू किया जाए और छात्र केवल अपनी स्कूल यूनिफॉर्म में ही आएं.''
बालमुकुंद आचार्य

विधायक रफीक खान ने मामले को विधानसभा में उठाया

आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक रफीक खान ने भी इस मुद्दे को राजस्थान विधानसभा में उठाने की कोशिश की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी और उनके बयान को विधानसभा की कार्यवाही से बाहर कर दिया.

मीट की दुकाने बंद करवाई थी

बालमुकुंद आचार्य, जिन्होंने राजस्थान में विधायक चुने जाने के एक दिन बाद ही अपने निर्वाचन क्षेत्र में घूम-घूमकर मांस बेचने वाली दुकानों को बंद करा रहे थे. जिसका वीडियो सोशल मीड़िया पर जमकर वायरल हुआ थी. जिसके बाद बालमुकुंद आचार्य ने सभी का ध्यान आकर्षित किया था. बाद में लोगों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से उनके बारे में शिकायत की, जिसके बाद आचार्य ने अपने कृत्य के लिए माफी मांगी.

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