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चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी और कांग्रेस एक ऐसे मुद्दे की तलाश में होती हैं, जिससे अपनी चुनावी खेती में वोटों की बारिश करवाई जा सके. बीजेपी ने जहां कुछ ही महीने पहले राम मंदिर का राग छेड़ दिया है, वहीं कांग्रेस भी तीन राज्यों में जीत के बाद फ्रंट फुट पर खेल रही है.
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी का किला ध्वस्त किया. लेकिन कुछ ही घंटों के बाद किसानों का कर्ज माफ कर बीजेपी और बाकी पार्टियों के सामने एक चुनौती खड़ी कर दी. किसान कर्जमाफी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अब बड़ा मुद्दा बना दिया है. जहां एक तरफ बीजेपी राम मंदिर मुद्दे को हवा दे रही है, वहीं राहुल ने किसान कर्जमाफी से इसका तोड़ ढूंढ लिया है.
बीजेपी कांग्रेस पर लगातार आरोप लगाती रही है कि वो राम मंदिर के खिलाफ है. अब कांग्रेस ने भी वही दांव चला है. राहुल गांधी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसान कर्जमाफी से बीजेपी को लगातार चैलेंज कर रहे हैं. आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी किसानों और गरीबों की पार्टी नहीं है. खुद को किसानों के साथ खड़ा दिखाकर पूरे देश में किसान कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं. एक्शन मोड में आए राहुल गांधी लगातार बोल रहे हैं कि पूरे देश में कर्जमाफी होने तक पीएम मोदी को सोने नहीं देंगे.
बीजेपी के लिए किसान कर्जमाफी अब किसी गर्म दूध की तरह बन चुका है जिसे न निगल सकते हैं और न उगल सकते हैं. यानी अब जो भी राज्य किसानों को राहत देने के लिए कदम बढ़ाएगा, कांग्रेस उसका क्रेडिट लेने के लिए तैयार होगी. बीजेपी शासित गुजरात और असम में किसानों को राहत मिलते ही राहुल गांधी ने इसका क्रेडिट लेने में बिल्कुल देर नहीं की. उन्होंने कहा कि हमने बीजेपी शसित दो राज्यों को जगाया है, अब पूरे देश के किसानों को राहत दिलाकर चैन लेंगे. मतलब साफ है- कांग्रेस कर्जमाफी के मुद्दे पर 2019 की घेराबंदी करने के लिए कमर कस चुकी है.
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार का एक मुख्य कारण किसानों की नाराजगी भी है. मध्य प्रदेश और राजस्थान में पिछले कुछ सालों से किसान आंदोलनों ने जोर पकड़ा था. मध्य प्रदेश के मंदसौर में आंदोलन कर रहे किसानों पर गोली तक चलाई गई. जिसमें 6 किसानों की मौत हुई थी. वहीं राजस्थान के सीकर में भी कई किसान आंदोलन देखने को मिले. जिससे किसानों में गुस्सा, निराशा, बेबसी और सरकारों को सबक सिखाने इतंजार था. अब लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस इसी मुद्दे को भुनाने की कोशिश में रहेगी.
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि किसानों के मुद्दे पर बैकफुट पर दिख रही बीजेपी की क्या रणनीति होगी? क्या 2019 में राम मंदिर के सहारे ही नैय्या पार लगाने की कोशिश होगी, या फिर किसानों को खुश करके चुनावी मैदान में उतरा जाएगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि राम मंदिर का जिन्न फिर से निकलता है या इस बार गरीब, किसान, रोजगार और विकास जैसे जमीनी मुद्दों की बात होगी.
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