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पिछले दिनों अमृतसर (Amritsar) के स्वर्ण मंदिर में गुरु ग्रंथ साहिब को अपवित्र करने के प्रयास (बेअदबी) में भीड़ द्वारा एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई. इसके एक दिन बाद पंजाब के कपूरथला जिले में सिख ध्वज का अनादर करने के लिए एक अन्य व्यक्ति को लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला. जाहिर है ये गैर न्यायिक हत्याएं हैं. देश में बेअदबी के लिए सेक्शन 295 और 295A के तहत तीन साल तक की सजा दी जाती है. पंजाब ने एक बिल पास कर केंद्र को भेजा है जिसमें उम्रकैद देने की बात है. ये तो हुई भारत की बात लेकिन बेअदबी पर बाकी दुनिया में कैसे कानून हैं आइए जानते हैं.
धर्म से संबंध रखने वाले मामलों को सबसे पहले ब्रिटिश सरकार के दौरान 1860 में पीनल कोड में शामिल किया गया था, जिसमें वर्ष 1927 के दौरान विस्तार किया गया.
1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा होने के बाद पाकिस्तान ने इस कानून को अपना लिया. जियाउल हक की सरकार में इसमें और भी धाराएं शामिल की गईं.
साल 1980 में शामिल की गई एक धारा में कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक शब्द कहता है तो उसे तीन साल तक की जेल हो सकती है.
इसके बाद 1982 में एक और धारा शामिल की गई, जिसमें कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति कुरआन को अपवित्र करता है तो उसे उम्रकैद की सजा दी जाएगी.
बांग्लादेश के संविधान में यह प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति किसी भी धर्म का अपमान करने के इरादे से किसी धार्मिक स्थान को चोट पहुंचाता है या अपवित्र करता है तो यह बेअदबी माना जाएगा, जिसमें पीनल कोड की धारा 14 के अंतर्गत आरोपी को जुर्माना या दो साल तक के लिए जेल की सजा हो सकती है.
रूस के संविधान में शामिल किए गए ईशनिंदा कानून में यह प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति धार्मिक संगठनों के क्रियाकलापों या धार्मिक संस्कारों में बाधा पहुंचाता है तो उस पर 80 हजार तक की धनराशि का जुर्माना लगाया जाएगा या तीन महीने की जेल की सजा होगी.
इस्लामिक राष्ट्र ईरान के संविधान के पीनल कोड की धारा 40 में ईशनिंदा से संबंधित कानून का उल्लेख किया गया है. इसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति मजहबी हिंसा करता है, इस्लाम की पवित्रता या इमाम को अपमानित करता है तो आरोपी को एक से लेकर पांच साल तक की जेल की सजा हो सकती है.
मिस्र के संविधान में ईशनिंदा करने वालों पर जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. साल 2014 में हुए अरब स्प्रिंग (सरकार विरोधी प्रदर्शनों) के बाद ईशनिंदा कानून में कुछ संशोधन किया गया, जिसके बाद देश में इस्लाम को राष्ट्रीय धर्म का दर्जा दिया गया और अन्य धर्मों को वैधता दी गई.
इस्लामिक राष्ट्र सऊदी अरब में इस्लाम का शरिया कानून लागू है. सऊदी अरब के कानून के तहत ईशनिंदा करने वाले व्यक्ति को धर्म (मुर्तद) न मानने वाला घोषित कर दिया जाता है और मौत की सजा दी जाती है.
जर्मनी में लागू नियमों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति धार्मिक आस्था और धार्मिक संगठनों को अपमानित करने का काम करता है तो इसको ईशनिंदा माना जाएगा.
संविधान के क्रिमिनल कोड की धारा-166 के तहत ईशनिंदा करने वाले व्यक्ति पर जुर्माना या तीन साल के जेल की सजा हो सकती है.
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Published: 23 Dec 2021,11:46 PM IST