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अमेरिकी एरोस्पेस कंपनी बोइंग ने 27 जुलाई को 22 अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों में से पहले चार हेलिकॉप्टर भारतीय वायुसेना को सौंप दिए. AH-64E अपाचे हेलिकॉप्टरों की पहली खेप की सप्लाई हिंडन एअरबेस पर की गई. इन हेलिकॉप्टरर्स की सप्लाई करोड़ों डॉलर का सौदा होने के लगभग चार साल बाद की गई है. AH-64E अपाचे दुनिया के सबसे उन्नत बहुद्देश्यीय लड़ाकू हेलिकाप्टरों में से एक हैं जिसे अमेरिकी सेना उड़ाती है.
बोइंग ने कहा कि अपाचे हेलिकॉप्टरों की पहली खेप भारत पहुंच गई है. चार और हेलिकॉप्टरों की सप्लाई भारतीय वायुसेना को अगले हफ्ते की जाएगी. कंपनी ने कहा, ‘‘उसके बाद आठ हेलिकॉप्टर पठानकोट वायुसेना स्टेशन जाएंगे जिससे कि उन्हें सितंबर में वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया जा सके.’’
अपाचे इंडियन एयर फोर्स की मारक क्षमता को काफी मजबूत बना सकता है. अपाचे छिपकर वार कर सकता है और यह हर तरह के मिशन के लिए कारगर है. अपाचे हेलिकॉप्टर की कई खासियते हैं.
अपाचे भारतीय सेना में शामिल पहला अटैक हेलिकॉप्टर है. अब तक भारत रूसी Mi-35 हेलिकॉप्टर का बरसों से इस्तेमाल से करता आ रहा था. अब ये आउट ऑफ सर्विस होने लगे हैं. अपाचे जैसे अटैक हेलिकॉप्टर आसानी से कहीं भी ले जाए जा सकते हैं. इनके जरिये जमीन पर आगे बढ़ रही सेना को दुश्मन के टैंकों और हेलिकॉप्टर के हमले से बचाया जा सकता है. अपाचे में दो क्रू मेंबर होते हैं और ये 293 किलोमीटर तक की रफ्तार से उड़ सकता है. इसे 21000 फीट की ऊंचाई तक ले जाया जा सकता है और ये एक बार ईंधन भरने के बाद 476 किमी तक जा सकता है.
भारतीय वायुसेना ने सितंबर 2015 में अमेरिकी सरकार और बोइंग लिमिटेड के साथ 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों के लिए करोड़ों डॉलर के एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए थे. रक्षा मंत्रालय ने बोइंग से 2017 में 4168 करोड़ रुपए कीमत पर सेना के लिए हथियारों के साथ छह अपाचे हेलिकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी थी. कंपनी ने पूरी दुनिया में अपने उपभोक्ताओं को 2200 से ज्यादा अपाचे हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति की है और भारत 14वां देश है जिसने उसे अपनी सेना के लिए चुना है.
AH-64E अपाचे ने भारतीय वायुसेना के लिए अपनी पहली सफल उड़ानें जुलाई 2018 में पूरी की थी. भारतीय वायुसेना के पहले दल ने अपाचे हेलिकॉप्टर उड़ाने का अपना प्रशिक्षण अमेरिका में 2018 में शुरू किया था.
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