Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Delhi-NCR में प्रदूषण, सर्दी के कारण ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में 40 प्रतिशत की वृद्धि

Delhi-NCR में प्रदूषण, सर्दी के कारण ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में 40 प्रतिशत की वृद्धि

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ती ठंड और प्रदुषण का असर दिखने लगा है.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Delhi-NCR में ठंड और प्रदुषण से स्ट्रोक के मामले बढ़ें, बाहर जाते समय पहने मास्क</p></div>
i

Delhi-NCR में ठंड और प्रदुषण से स्ट्रोक के मामले बढ़ें, बाहर जाते समय पहने मास्क

(फोटो:iStock)

advertisement

दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में बढ़ती ठंड और प्रदुषण का असर दिखने लगा है. डॉक्टरों का कहना है कि गिरते तापमान, बढ़ते प्रदूषण स्तर के चलते राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ब्रेन स्ट्रोक के मामले 40 प्रतिशत तक बढ़ रहे हैं.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बुधवार, 27 दिसंबर को घने कोहरे के अलावा, उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की भविष्यवाणी की.

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रधान निदेशक डॉ. प्रवीण गुप्ता ने न्यूज एजेंसी IANS को बताया, ''हम आज की तारीख में ब्रेन स्ट्रोक में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि देख रहे हैं. हम लगभग दोगुनी संख्या में स्ट्रोक स्वीकार कर रहे हैं, जैसा कि हम अक्टूबर या सितंबर में कर रहे थे. यह प्रदूषण के साथ ठंड के मौसम का स्पष्ट प्रभाव है.''

मेदांता के न्यूरोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. प्रोफेसर विनय गोयल के मुताबिक "वायु प्रदूषण के साथ ठंडा मौसम दोधारी तलवार की तरह है जो उम्मीद से अधिक नुकसान पहुंचा सकता है. हम अपने आईसीयू में स्ट्रोक के मामलों की संख्या में 20 प्रतिशत की वृद्धि देख रहे हैं."

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' बताई जिसमें एक्यूआई 381 था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

डॉ. गुप्ता ने बताया कि प्रदूषण से पार्टिकुलेट मैटर में वृद्धि होती है जिससे ऑक्सीडेटिव प्रतिक्रियाशील प्रजातियों की पीढ़ी में वृद्धि होती है. यह आगे चलकर प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स की ओर ले जाता है. जिससे शरीर में सूजन हो जाती है और एंडोथेलियल डिसफंक्शन बढ़ जाता है.

आर्टेमिस अस्पताल में न्यूरोलॉजी के निदेशक डॉ. सुमित सिंह ने IANS को बताया,

"सर्दियों के दौरान स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है क्योंकि ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव होता है और जो मरीज इस दौरान हाइपरटेंशन को कंट्रोल नहीं करते हैं.उनमें स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है और प्रदूषण के साथ मिलकर जोखिम कई गुना बढ़ जाता है."

डॉ. सिंह ने बताया कि हम अपने आईसीयू में स्ट्रोक के कारण भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में वृद्धि देख रहे हैं. सर्दी का मौसम पहले से ही स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाने के लिए जाना जाता है और जब यह प्रदूषण के साथ मिल जाता है, तो मामलों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है.

डॉ. गोयल ने स्ट्रोक से बचने के लिए प्रदूषित वातावरण से दूर रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि इसके लिए हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसे परिवर्तनीय जोखिम कारकों पर नियंत्रण की आवश्यकता है. धूम्रपान बंद करने के साथ-साथ प्रदूषण को कम करने के लिए सब कुछ करना होगा.

डॉक्टरों ने घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने, प्रदूषित क्षेत्रों में बाहर जाते समय, खासकर सुबह की सैर के दौरान फेस मास्क पहनने की सलाह दी है.

डॉ. सिंह ने सर्दियों के दौरान बहुत सारे नट्स खाने से बचने की सलाह देते हुए बताया कि इससे रक्त में कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि शारीरिक गतिविधियों को बंद न करें और अगर किसी को हृदय या बीपी की समस्या है तो डॉक्टर से संपर्क करें.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT