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वीडियो प्रोड्यूसर: विकास तिवारी
वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
हर दो चार महीने में आपको ऐसी खबर तो सुनने को मिलती ही होगी कि इस सरकारी परीक्षा में धांधली हो गई. उस परीक्षा का पेपर लीक हो गया या एडमिट कार्ड नहीं आ रहा है. अब केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाओं की सेहत में सुधार के लिए बड़े कदम का ऐलान किया है.
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये ऐलान किया कि नॉन गजेटेड सरकारी पदों पर और सरकारी बैंकों में रिक्रूटमेंट के लिए एक ही ऑनलाइन एग्जाम होगा, जिसे कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) कहा जाएगा. अब यहां दो बात समझनी होगी, एक तो अलग-अलग डिपार्टमेंट में एक ही टाइप के सरकारी नौकरियों के लिए एक ही एग्जाम होगा और दूसरी बात एग्जाम ऑनलाइन कंम्प्यूटर बेस्ड होगा. ऑनलाइन एग्जाम तो फिलहाल, कई ऐसी नौकरियों के लिए कराए जा रहे हैं, लेकिन अब सभी ऐसी नौकरियों के लिए ऑनलाइन एग्जाम ही होगा जैसे RRB, IBPS और SSC जिसके अलग-अलग एग्जाम होते हैं उसकी जगह एक ही एग्जाम, इन रिक्रूटमेंट्स के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाई जाएगी. हर जिले में टेस्ट सेंटर बनाए जाएंगे..
क्विंट अपने पिछले कई वीडियो मैं आपको बता चुका है कि कैसे छात्र इस एग्जाम के दुष्चक्र में फंसकर घूमते रहते हैं. कभी वैकेंसी समय पर नहीं निकलती, निकलती है तो परीक्षा होने में समय लग जाता है, फिर छात्र एडमिट कार्ड से लेकर परीक्षा सेंटर तक पहुंचने की मुसीबतों को झेलता है फिर पेपर लीक होने की खबर आ जाती है तो कभी धांधली की तो इस लिहाज से सरकार का ये कदम रिक्रूटमेंट के लिए अच्छा माना जा सकता है. लेकिन इस नए ऐलान पर कई सारे सवाल हैं जिनका जवाब परीक्षा देने वालों को नहीं पता.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक CET का स्कोर रिजल्ट की घोषणा होने की तारीख से अगले तीन साल तक मान्य होगा. ये स्कोर कैंडिडेट के साथ ही अलग-अलग रिक्रूटमेंट एजेंसियों को भी मुहैया कराया जाएगा. कैंडिडेट को अपना स्कोर सुधारने के दो मौके और मिलेंगे, और सभी स्कोर में बेस्ट वाले स्कोर को माना जाएगा.
अब कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का तो ऐलान हो गया है, जाहिर है कि दिल्ली, पटना, बेंगलुरू, मद्रास, गुवाहाटी में जो युवा इन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे होंगे, उनमें उत्सुकता होगी..ऐसी ही कई छात्रों से हमने बात की और जानने की कोशिश की क्या-क्या इनके मन में सवाल हो सकते हैं.
कानपुर के रहने वाले विकास दीक्षित भी नॉन-गजेटेड परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. विकास कहते हैं कि अगर सरकार किसी एक परीक्षा जैसे कि अगर SSC का सिलेबस लागू करती है तो उससे बैंक, रेलवे जैसी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को काफी दिक्कत होगी. बिहार के सासाराम के रहने वाले रवि का कहना है कि सरकार को पुराना वाला सिस्टम ही रखना चाहिए.
दिल्ली में रहने वाले गोविंद मिश्रा कहते हैं कि छात्रों को चार बार पैसे लगाकर अलग-अलग फॉर्म भरने पड़ते हैं और चार बार एग्जाम भी देना पड़ता है तो क्यों न एक ही एग्जाम है. गोविंद का कहना है कि सरकार इस योजना पर सही से अमल करती है तो ये बेहतर होगा.
अब सरकार ने इस कदम का ऐलान तो कर दिया है, ये सराहनीय भी है. सरकार को अब पूरी तरह से जांच परख कर ही इस योजना को लागू करना चाहि. कहीं सिविल परीक्षाओं में हिंदी बना अंग्रेजी जैसा विवाद न पैदा हो जाए, कहीं मैथ्स को तरजीह का सवाल न खड़ा हो जाए आखिर ये करोड़ों युवाओं के करियर का सवाल है.
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