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कभी फीस के रूप में गाय लेकर एडमिशन लेने वाला बक्सर का इंजीनियरिंग कॉलेज बैंक का लोन ना चुका पाने की वजह से बंद हो गया है. बताया जा रहा है कि बैंक ने इंजीनियरिंग कॉलेज को बचा हुआ पैसा भी देने से इंकार कर दिया.
यह कॉलेज दुनिया में अपनी तरह का अनोखा प्रयोग था, जिसमें कुछ किसानों ने अपनी जमीन देकर, आसपास के इंजीनियरिंग सर्किल के सहयोग से ऐसा कॉलेज खोला, जिसमें सिर्फ एक गाय के दान की फीस चुकाकर कोर्स पूरा किया जाता था.
कॉलेज के लिए बैंक से शुरुआत में 4 करोड़ रुपये का लोन भी लिया गया था. कॉलेज के फाउंडर एस के सिंह के मुताबिक, बैंक ने 2013 तक समय से पैसा दिया. इसके बाद कुल 15 करोड़ रुपये की कीमत के इस प्रोजेक्ट की दूसरी किस्त जारी करने का समय था.
लेकिन बैंक ने आगे लोन देने से मना कर दिया. एस के सिंह बताते है कि चूंकि लोन का अमाउंट ज्यादा था, ऐसे में बैंक ने कहा कि मेरे पास केवल पांच करोड़ तक ही लोन देने की क्षमता है. लेकिन बैंक ने लोन पास नहीं किया और कॉलेज का डेवलपमेंट रुक गया. इस तरह कॉलेज को बंद करना पड़ा.
कॉलेज में केमेस्ट्री के प्रोफेसर और कॉलेज में अकाउंटिंग के जानकार राहुल राज बंद कॉलेज में सामानों के रख-रखाव की जानकारी लेने हेतु महीने में एक-दो बार आते-जाते हैं.
बैंक ऑफ इंडिया ने अब कॉलेज के गेट के सामने एक नोटिस चिपकाया हुआ है, जिसके ऊपर लिखा है, "ये अब बैंक की संपत्ति है. जिसकी बिक्री का अधिकार केवल बैंक का है." करीब 16 एकड़ में फैले इस कॉलेज में अलग-अलग विभाग की बिल्डिंग बनी हैं, जो अब दरक रही हैं. मुख्य बिल्डिंग के गेट पर ताला लगा है. जबकि मेन गेट टूट चुका है. ऐसे में कॉलेज अब भैंसो का तबेला बन चुका है. दो गार्ड हैं, जो लगातार भैंसों को भगाने में लगे रहते हैं.
जिस कांसेप्ट से इस कॉलेज ने काम किया. उससे गरीब परिवार के लड़कों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ. गाय और बछड़ा दान कर के इंजीनियर बने छात्र आज गांव के लिए एक गर्व की बात हैं. लेकिन जब से कॉलेज में बैंक ने अपनी संपत्ति का नोटिस लगाया है, तो गरीब छात्रों के लिए इंजीनियरिंग दूर की कौड़ी हो गई.
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