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चुनाव मतलब- जीतेगा भाई जीतेगा हमारा नेता जीतेगा.. लेकिन हार गए तो क्या? अब चुनावी देश भारत में एक बार फिर चुनाव (By-Election) हुए. तीन लोकसभा और 29 विधानसभा की सीटों के लिए. नतीजे भी आ गए. हिमाचल में बीजेपी को झटका, बिहार-MP में कांग्रेस को फटका और बंगाल में टीएमसी पर जनता का दिल अटका टाइप मामला हुआ. लेकिन गौर किया जाए तो इन नतीजों में सबके लिए कुछ न कुछ सीखने को है.
पहले नतीजों पर गौर कीजिए. भारत के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की तीन लोकसभा और 29 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए.
अब ऐसा नहीं है कि बीजेपी खाली हाथ है. असम और मध्य प्रदेश में बीजेपी की परफॉर्मेंस कांग्रेस पर भारी पड़ी. शिवसेना ने भी महाराष्ट्र के बाहर दादर नगर हवेली में एंट्री की है.
सबसे पहले बात बीजेपी की. हरियाणा से लेकर राजस्थान, हिमाचल, बंगाल में बीजेपी उपचुनाव में साफ हो गई. अब बीजेपी के लिए इस हार में सीख ये है कि
पेट्रोल-डीजल, गैस के बढ़ते दामों पर लगाम लगानी होगी.
सबके साथ और सबके विकास पर असली फोकस.
रोजगार, हेल्थ, शिक्षा के बेसिक मुद्दों पर लौटना होगा.
कोरोना ने आपकी पोल खोल दी है. शवों की कतारें देश ने देखी हैं. साथ ही ये भी समझना होगा कि भूखे पेट भजन न होय गोपाला. ध्रुवीकरण की स्ट्रैटेजी ज्यादा दिन टिकती नहीं है. कांग्रेस की सीख ये है कि असम हाथ से निकल रहा है. राजस्थान में भले ही जीत गए हों, लेकिन पार्टी के अंदर मुश्किलें कम नहीं हैं. तो काम ऐसा कीजिए कि जो बचा है कम से कम वो बचा रहे..
बचपन में किताब में एक कहानी थी. अकेली लकड़ी को तोड़ना आसान होता है, लेकिन एक साथ मिलकर रहने वाले को तोड़ना मुश्किल. वो सबक अगर याद रहता तो क्या पता बिहार में कांग्रेस और आरजेडी की हालत बेहतर होती.
बस हम ही हम हैं बाकी सब पानी कम है.. ये शब्द अच्छे- अच्छों को ले डूबता है..
बीजेपी को ही देख लीजिए. लोकसभा चुनाव की जीत ऐसी हावी है कि जनता का दर्द ही नहीं दिख रहा.. बेरोजगारी बढ़ रही है, महंगाई तो पूछिए मत, लेकिन बस मान के चल रहे हैं कि जब इस देश ने नोटबंदी सह लिया तो हर दर्द सह लेगा.. लेकिन दर्द जब हद से बढ़ जाता है, मुश्किल बन जाता है.
वही हाल आरजेडी का है. बिहार में बार-बार सबसे बड़ी पार्टी होने का दम भर रहे हैं. लेकिन गठबंधन संभल नहीं रहा. जो 2009 के लोकसभा चुनाव में हुआ था उससे भी नहीं सीख रहे. गठबंधन बचाकर रखते तो कम से एक सीट तो आ ही जाती. कांग्रेस भी अपने ईगो को कंट्रोल में रखती तो जमानत जब्त की खबरों से तो बच जाती.
हरियाणा में बीजेपी गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा है. इंडियन नेशनल लोक दल के नेता अभय चौटाला ने हरियाणा के एलेनाबाद विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी के गोबिंद कांडा को हराया है. अभय चौटाला ने इसी साल जनवरी में कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफा दे दिया था. बीजेपी लगातार हरियाणा में किसानों का विरोध झेल रही है. हरियाणा के किसान दिल्ली के बॉर्डर पर कृषि कानून के खिलाफ धरना दे रहे हैं. BJP को सोचना होगा कि किसान आंदोलन का खामियाजा कहीं हरियाणा, पंजाब, और उत्तर प्रदेश में न उठाना पड़े.
अगले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम पार्टियों इन नतीजों से अपने लिए काम की बातें सीख सकती हैं.
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