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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम
गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस के काम का समर्थन किया है. एक टीवी चैनल पर अमित शाह ने कहा, "जो लोग सवाल पूछ रहे हैं वो जरा एक दिन पुलिस की वर्दी पहनकर खड़े हो जाएं. कोई ये नहीं पूछता कि बस क्यों जलाई गई? गाड़ियां क्यों जलाई गईं? जब लोग हिंसा करेंगे तो पुलिस गोली चलाएगी ही."
सही बात है पुलिस भी तो हम और आप की तरह इंसान है. लेकिन सवाल ये है कि ऐसे हालात क्यों बने या बनने दिए गए? सवाल ये भी है कि क्या पुलिस के पास बस गोली चलाने का रास्ता ही बचा है? चाहे गोली किसी की भी चले लेकिन अगर गांधी के देश में इस बात को बिना झिझक बोला जाए तो लोग पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे? जनाब ऐसे कैसे...
नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में देशभर में लोगों ने आवाज उठाई. बूढे़, बच्चे, महिला, स्टूडेंट सड़कों पर आए. पुलिस ने भी उन पर डंडे, आंसू गैसे के गोले, गोलियां सब चलाई. अब तक 500 से ज्यादा FIR, 1500 से ज्यादा लोग गिरफ्तार. करीब 25 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
यूपी के सीएम खुलेआम 'बदला' लेने की बात कर रहे हैं. पुलिस ने भी उनकी बात आदेश समझकर सिर माथे पर रखी. जमकर तोड़फोड़, आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए. वो भी हवा में नहीं बल्कि प्रदर्शनकारियों पर. और तो और मेरठ के एसपी साहब मुसलमानों को हिदायत भी दे रहे हैं कि पाकिस्तान चले जाओ. एडीएम साहब जिंदगी काली कर देने की स्कीम के फायदे गिना रहे हैं.
लेकिन फिर भी गृहमंत्री जी आपको लगता है कि विपक्ष देश को गुमराह कर रहा है. चलिए पुलिस सही, सरकार सही, लोगों का मरना भी सही. लेकिन कुछ सवालों के जवाब तो दे दीजिए. ये सवाल बस जलने, सरकारी संपत्ति के नुकसान होने से कहीं ज्यादा अहम है.. ये लोगों की जिंदगी के सवाल हैं..
पुलिस का दर्द समझना अच्छी बात है लेकिन उसी पुलिस सर्विस से जुड़े पूर्व आईपीएस दारापुरी ने कौन सी हिंसा की थी, उन्हें क्यों गिरफ्तार करना पड़ा? फायरिंग करते हुए पुलिस के कई वीडियो सामने आए हैं, मान लीजिए सब गलत हैं, लेकिन जांच तो कराइए..
आखिरी बात अगर प्रदर्शनकारियों के पास इतने हथियार थे तो ये हथियार आए कहां से? पुलिस तब कहां थी जब ये हथियार आ रहे थे?
जनाब ये देश अहिंसा के रास्ते पर चलकर आगे बढ़ा है, जिस गांधी जी का चश्मा स्वच्छ भारत अभियान में इस्तेमाल होता है ना, उन्होंने ही कहा था.. "आंख के बदले आंख सारी दुनिया को अंधा बना देगी." आज गांधी होते तो वो जरूर पूछते कि जनाब ऐसे कैसे?
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