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साठ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने CAG पर नोटबंदी और राफेल डील पर ऑडिट रिपोर्ट को जानबूझ कर टालने का आरोप लगाया है. ब्यूरोक्रेट्स का आरोप है कि CAG जानबूझकर रिपोर्ट में देरी कर रही है, जिससे अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले एनडीए सरकार की किरकिरी न हो.
पूर्व अफसरों ने CAG को लिखे पत्र में कहा है कि नोटबंदी और राफेल फाइटर जेट डील पर ऑडिट रिपोर्ट लाने में अस्वाभाविक और अकारण देरी चिंताजनक है. पूर्व अफसरों ने रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र में पटल पर रखे जाने की मांग की है.
लेटर में कहा गया है कि समय पर नोटबंदी और राफेल डील को लेकर ऑडिट रिपोर्ट जारी करने में देरी को पक्षपातपूर्ण कदम कहा जाएगा और इससे संस्थान की साख पर संकट पैदा हो सकता है. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पायी है.
नोटबंदी पर मीडिया की खबरों का संदर्भ देते हुए पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि तत्कालीन नियंत्रक और महालेखापरीक्षक शशि कांत शर्मा ने कहा था कि ऑडिट में नोटों की छपाई पर खर्च, रिजर्व बैंक के लाभांश भुगतान और बैंकिंग लेन-देन के आंकड़ों को शामिल किया जाएगा. पत्र में कहा गया है, इस तरह की ऑडिट रिपोर्ट पर पिछला बयान 20 महीने पहले आया था लेकिन नोटबंदी पर वादे के मुताबिक, ऑडिट रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
पत्र में दावा किया गया है कि ऐसी खबरें थीं कि राफेल सौदे पर ऑडिट सितंबर 2018 तक हो जाएगा लेकिन संबंधित फाइलों का कैग ने अब तक परीक्षण नहीं किया है. पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि टू जी, कोयला, आदर्श, राष्ट्रमंडल खेल घोटाले पर कैग की ऑडिट रिपोर्ट से तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्यों के बारे में जनधारणा प्रभावित हुई थी और विभिन्न हलकों से इसे सराहना मिली थी.
उन्होंने कहा है, ‘‘लेकिन, ऐसी धारणा बनाने का आधार बढ़ रहा है कि कैग मई 2019 के चुनाव के पहले नोटबंदी और राफेल सौदे पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में जानबूझकर देरी कर रहा है ताकि मौजूदा सरकार की किरकिरी नहीं हो.''
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