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राफेल डील की जांच हो या नहीं सुप्रीम कोर्ट बाद में बताएगा

राफेल मामले में सुनवाई के दौरान बुलाए गए दो अफसर वापस भेजे गए 

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भारत
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राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
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राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
(फोटोः Altered By Quint Hindi)

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राफेल डील की जांच को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की. आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह, बीजेपी नेता अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील एम एल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को एयर फोर्स के लिए 36 राफेल फाइटर जेट डील का ब्योरा सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा दिया था. कोर्ट इस ब्योरे को देखने के बाद याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ इस मामले में सुनवाई की.

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चीफ जस्टिस ने कहा, एयर फोर्स अफसर वापस वॉर-रूम जाएं

राफेल जेट मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने वायुसेना के आला अफसरों को वापस लौटने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि अदालत में अलग तरह की लड़ाई होती है. एयर मार्शल और वाइस एयर मार्शल्स वापस वास्तविक वॉर रूम में जा सकते हैं.

राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीद की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिकाओं पर अपने फैसले को सुरक्षित रखा है.

CJI के बुलावे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे दो एयरफोर्स अफसर

सीजेआई रंजन गोगोई के बुलावे पर वायुसेना के उपप्रमुख एअर मार्शल वी आर चौधरी और दो अन्य अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश हुए हैं.

वायुसेना के ये अफसर राफेल डील मामले पर सुनवाई कर रही पीठ की मदद करेंगे.

CJI बोले- जरूरत होने पर ही होगी राफेल की कीमतों पर बहस

अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह एक रक्षा खरीद हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. इसलिए न्यायिक समीक्षा के तहत कीमतों का खुलासा नहीं किया जा सकता.

इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, ‘राफेल डील से जुड़ी कीमतों पर कोई भी बहस केवल तभी होगी, जब कोर्ट तय करेगा कि तथ्य सार्वजनिक होने चाहिए.’

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि वह इस मामले में रक्षा मंत्रालय के बजाय एयरफोर्स का पक्ष सुनना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि वह रक्षा मंत्रालय के बजाय एयरफोर्स के किसी अफसर से मिलना चाहते हैं, ताकि वह एयरफोर्स की जरूरतों को बता सके.

सीजेआई ने पूछा कोर्ट मे कोई भारतीय वायु सेना का अफसर है क्या? इस पर सरकार ने कहा- वायु सेना के नहीं, लेकिन रक्षा मंत्रालय के अधिकारी हैं. कोर्ट ने कहा कि मंत्रालय नहीं, वायु सेना का अफसर चाहिए. खरीद वायु सेना के लिए हुई है.

सुप्रीम कोर्ट में अरूण शौरी ने क्या कहा?

राफेल पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने भी सरकार को घेरा. अरुण शौरी ने कहा कि ऑफसेट की गाइडलाइंस को बाद में बदला गया. उन्होंने आरोप लगाया कि दसॉ भी इस समय फाइनेंशियल क्राइसेस से जूझ रहा है, यही कारण है कि उन्होंने सरकार की हर बात मानी और रिलायंस के साथ करार किया. इस डील से दसॉ को भी फायदा हुआ.

अरुण शौरी ने कहा कि राफेल डील का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय की सलाह के किया है.

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सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल डील के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की ओर से पैरवी करते हुए तीन-सदस्यीय पीठ को बताया कि सिर्फ तीन परिस्थितियों में अंतर-सरकार मार्ग अपनाया जा सकता है.

भूषण ने कहा कि पहले इस डील में 108 विमान भारत में बनाने की बात की जा रही थी. 25 मार्च 2015 को दसॉ और HAL में करार हुआ और दोनों ने कहा कि 95 फीसदी बात हो गई है. लेकिन 15 दिन बाद ही प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान नई डील सामने आई, जिसमें 36 राफेल विमानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट हुआ और मेक इन इंडिया को किनारे कर दिया गया. भूषण ने कहा-

  • राफेल लड़ाकू विमान सौदा गोपनीय नहीं हो सकता
  • राफेल फाइटर जेट डील में भ्रष्टाचार हुआ है
  • विमान सौदा आरटीआई के दायरे में आता है
  • रिलायंस को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया
  • कीमत बताने से देश की सुरक्षा को खतरा कैसे हो सकता है
  • इस डील के बारे में रक्षामंत्रालय को भी पता नहीं था, एक झटके में विमान 108 से 36 हो गए और ऑफसेट रिलायंस को दे दिया गया.
  • सरकार कह रही है कि उन्हें ऑफसेट पार्टनर का पता नहीं है. लेकिन प्रोसेस में साफ है कि बिना रक्षा मंत्री की अनुमति के ऑफसैट तय नहीं हो सकता है. ऑफसेट बदलने के लिए सरकार ने नियमों को बदला गया और तुरंत लागू किया गया.
  • सरकार पहले ही दो बार देश की सुरक्षा को ताक पर रख चुकी है, क्योंकि वह दो बार संसद में राफेल के दाम बता चुकी है.
  • दसॉ ने रिलायंस ग्रुप के 240 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे.
  • भूषण ने सवाल करते हुए कहा कि इस डील के लिए रिलायंस को ही क्यों चुना गया. उनके पास तो जमीन भी नहीं थी, रिलायंस फॉर्मूला का ही पार्ट थी. इसीलिए 17 दिन के भीतर रिलायंस को जमीन, डिफेंस मैन्यूफेक्चरिंग का लाइसेंस दे दिया गया.
  • प्रशांत भूषण ने कहा कि राफेल डील भ्रष्टाचार का मामला है. अब इस मामले में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज होना चाहिए.

राफेल विमानों के सौदे की कीमत दो बार संसद में उजागर की गई थी: संजय सिंह के वकील

राफेल डील को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 36 राफेल विमानों के सौदे की कीमत दो बार संसद में उजागर की गई थी, इसलिए सरकार द्वारा यह कहा जाना स्वीकार्य नहीं है कि कीमतों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.

मोदी सरकार द्वारा फाइल की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि गंभीर फ्रॉड हुए: एमएल शर्मा, वकील

राफेल सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा फाइल की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि मई, 2015 के बाद फैसला किए जाते वक्त गंभीर फ्रॉड किया गया है.

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि मामले की सुनवाई पांच-सदस्यीय पीठ से कराई जाए.

Rafale deal case: कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है.

दसॉ एविएशन के CEO एरिक ट्रेपियर ने दी सफाई

दसॉ एविएशन के सीईओ एरिक ट्रेपियर ने राफेल डील को लेकर लगाए गए राहुल गांधी के तमाम आरोपों को खारिज किया है. न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए गए इंटरव्यू में राफेल डील को लेकर उठ रहे तमाम सवालों के जवाब दिए.

ट्रेपियर ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने डील को लेकर जो भी आरोप लगाए हैं वो पूरी तरह से निराधार हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने दसॉ और रिलायंस के बीच हुए ज्वॉइंट वेंचर को लेकर झूठ बोला है. दसॉ एविएशन के सीईओ ने कहा कि डील के बारे में जो भी जानकारी दी गई है, वह बिल्कुल सही है, क्योंकि वह झूठ नहीं बोलते.

केन्द्र ने राफेल खरीद प्रक्रिया के दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंपे

केन्द्र सरकार ने बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुये राफेल विमान खरीदने के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया के विवरण से संबंधित दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंप दिये. इन याचिकाकर्ताओं ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे की सीबीआई से जांच कराने का अनुरोध किया है.

‘‘36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाये गये कदमों का विवरण'' शीर्षक के इस दस्तावेज में कहा गया है कि राफेल विमान खरीदने के लिए, रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 में निर्धारित मानकों का पालन किया गया है.

दस्तावेज में कहा गया है कि रक्षा खरीद प्रक्रिया में निर्धारित दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन किया गया है और विमान के लिये रक्षा अधिग्रहण परिषद की मंजूरी भी ली गयी. दस्तावेज के अनुसार, इस संबंध में बातचीत के लिये भारतीय वार्ताकार दल का गठन किया गया, जिसने करीब एक साल तक फ्रांस के साथ बातचीत की और अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले सक्षम वित्तीय प्राधिकार मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी भी ली गयी.

केन्द्र ने राफेल विमान सौदे की कीमत का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपा

केन्द्र सरकार ने बीते सोमवार फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे की कीमत से संबंधित विवरण सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया था. केन्द्र सरकार के वकील ने बताया कि सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को इन विमानों की कीमतों से अवगत कराया गया है.

शीर्ष अदालत ने 31 अक्टूबर को केन्द्र सरकार से कहा था कि इन 36 लड़ाकू विमानों की कीमतों का विवरण दस दिन के भीतर पेश किया जाये. हालांकि, इस मामले में सुनवाई की पिछली तारीख पर केन्द्र विमानों की कीमतों का विवरण देने के लिये अनिच्छुक था और अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा भी था कि इनकी कीमतों को संसद से भी साझा नहीं किया गया है. शीर्ष अदालत 36 लड़ाकू राफेल विमानों की कीमतों के बारे में सीलबंद लिफाफे में पेश किये गये इस विवरण का 14 नवंबर को अवलोकन करेगी.

Published: 14 Nov 2018,06:43 AM IST

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