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कावेरी मुद्दा: IPL मैचों के खिलाफ तमिल संगठन करेगा प्रदर्शन

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच चल रहा कावेरी विवाद का बैकग्राउंड करीब 125 साल पुराना है.

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मंगलवार शाम आठ बजे से एम एस धोनी की कप्तानी वाले सीएसके और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच पहला मुकाबला होगा
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मंगलवार शाम आठ बजे से एम एस धोनी की कप्तानी वाले सीएसके और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच पहला मुकाबला होगा
(फोटो: IPL)

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महानगर में होने वाले आईपीएल मैचों का विरोध तेज होता जा रहा है. कावेरी मुद्दे पर आंदोलन करने वाले एक तमिल संगठन ने चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम के बाहर मंगलवार को प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है.

कई फिल्म हस्तियां भी चाहती हैं कि मैच रद्द किया जाए, लेकिन आईपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स (CSK) के एक अधिकारी ने बताया कि तय कार्यक्रम के मुताबिक ही मैच होगा.

कावेरी प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) के गठन की मांग को लेकर तमिलनाडु में पिछले एक हफ्ते से प्रदर्शन चल रहा है. तमिल समर्थक संगठन तमिझागा वाझवुरियामी काची (टीवीके) ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर मैच कराया जाता है, तो वो एमए चिदंबरम स्टेडियम का घेराव करेंगे.

बता दें, मंगलवार शाम आठ बजे से एमएस धोनी की कप्तानी वाले सीएसके और कोलकाता नाइटराइडर्स के बीच पहला मुकाबला होगा.

सीएसके के सीईओ केएस विश्वनाथन ने कहा कि टीम के बीच मैच तय कार्यक्रम के मुताबिक होगा.

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क्या कावेरी मुद्दा?

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच चल रहे इस विवाद का बैकग्राउंड करीब 125 साल पुराना है. कावेरी नदी को लेकर साल 1892 और 1924 में मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर रियासत के बीच समझौता हुआ था. मद्रास प्रेसिडेंसी- मैसूर रियासत के बीच हुआ ये समझौता 1974 में खत्म हो गया. साथ ही नए सिरे से विवाद की शुरुआत हो गई.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल देते हुए मई 1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल ( Cauvery Water Disputes Tribunal) गठित करने के निर्देश दिए. फैसले के कुछ ही दिनों बाद केंद्र ने CWDT का गठन कर दिया.

करीब 16 साल तक चले इस मामले में साल 2007 में CWDT ने अपना फैसला सुनाया. ट्रिब्यूनल ने मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर रियासत के बीच 1892 और 1924 के दो समझौतों को मान्य करार दिया. ट्रिब्यूनल का ये फैसला कर्नाटक को पसंद नहीं आया और वहां भारी विरोध प्रदर्शन हुए.

सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितंबर 2016 को कर्नाटक सरकार को तमिलनाडु के लिए 15,000 क्यूसिक पानी दिए जाने का आदेश दिया. कोर्ट के इस फैसले का कर्नाटक में हिंसक विरोध हुआ. राज्य के कई इलाकों में तोड़फोड़ और आगजनी जैसी घटनाएं हुईं. इस हिंसा में करीब 25 हजार करोड़ रुपये के आर्थिक नुकसान होने का अनुमान लगाया गया.

ये भी पढ़ें- कावेरी मुद्दे पर तमिलनाडु में आंदोलन, रुक गई थी शहरों की रफ्तार

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