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सीबीआई के दो बड़े अफसरों के विवाद पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बहस पूरी हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. बुधवार को शुरू हुई यह सुनवाई गुरुवार तक चली. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि आलोक वर्मा के अधिकार क्यों छीने गए. यह ऐसा मुद्दा नहीं था कि सरकार को अचानक बिना सलेक्शन कमिटी से बातचीत किए सीबीआई डायरेक्टर की पॉवर खत्म करने का फैसला लेना पड़े.
चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि सीबीआई के दो अफसरों का विवाद पिछले तीन महीने से चल रहा था. इसीलिए केंद्र सरकार को रातोंरात सीबीआई डायरेक्टर की पॉवर छीनने से पहले चयन समिति की इजाजत लेनी चाहिए थी. अगर ऐसा होता तो इसे कानून का बेहतर तौर पर पालन माना जाता.
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील देते हुए कहा, असाधारण परिस्थितियों के लिए असाधारण उपायों की ही जरूरत है. सीवीसी की तरफ से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई को संचालित करने वाले कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि सीबीआई पर आयोग की निगरानी के दायरे में इससे जुड़ी आश्चर्यजनक और असाधारण परिस्थितियां भी सामने आती हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जवाब देते हुए कहा था कि, अलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच का विवाद काफी तूल पकड़ रहा था और यह एक पब्लिक डिबेट का मुद्दा बन चुका था. भारत सरकार इस बात से हैरान थी कि सीबीआई के ये दो बड़े अधिकारी क्या कर रहे हैं. दोनों बिल्लियों की तरह झगड़ रहे थे.
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