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केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार में 1,000 करोड़ रुपये के सृजन घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने को मंजूरी दे दी है.
बिहार पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक एसके सिंघल ने बताया कि गृह मंत्रालय ने सृजन घोटाले की सीबीआई जांच की मंजूरी दी है. उनके मुताबिक, इस मामले में अब तक 14 एफआईआर दर्ज किए गए हैं. साथ ही बिहार पुलिस की विशेष जांच टीम ने 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घोटाले की जांच के आदेश दिए थे.
विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने आरोप लगाया है कि इस बड़े घोटाले में साल 2005 से 2013 के बीच सरकारी ग्रांट निजी खातों में ट्रांसफर किए गए. उस समय मौजूदा उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी वित्त मंत्री और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि इस घोटाले के लिए दोनों जिम्मेदार हैं और उन्हें इस्तीफा देना चाहिए.
पिछले सप्ताह आरजेडी ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी. मुख्यमंत्री ने 17 अगस्त को इसकी सिफारिश की थी. लेकिन आरजेडी अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है.
आरजेडी चीफ लालू प्रसाद ने मामले में नीतीश कुमार और सुशील मोदी की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए अंदेशा जताया कि सृजन घोटाले की जांच में जानबूझकर देरी की गई और इसमें कोई बड़ी 'साजिश' है. उन्होंने कहा, "राज्य सरकार नीतीश कुमार और मोदी को बचाने के लिए सभी सबूतों को नष्ट कर रही है."
आरजेडी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भागलपुर में स्वयंसेवी संगठन सृजन महिला सहयोग समिति द्वारा 870.88 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के छह आरोपियों को जहर देकर मारने का आरोप लगाया है.
राबड़ी देवी ने सवाल उठाते हुए कहा, ''सृजन घोटाला मामले में आरोपी रहे छह लोगों की कैसे मौत हो गई...उन्हें जहर का इंजेक्शन देकर मार दिया गया.''
उन्होंने इन लोगों की मौत के लिए प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे व्यापम घोटला से जुड़े कई लोगों की रहस्यमय ढंग से मौत की तरह बताया है.
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