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Kartavya Path: जहां लगेगी नेताजी की प्रतिमा, वहां थी किंग जॉर्ज पंचम की मूर्ति

1936 में, इंडिया गेट के पास ही एक 73 फुट की कैनोपी को बनाया गया था.

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<div class="paragraphs"><p>इंडिया गेट पर नेताजी का होलोग्राम और किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा</p></div>
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इंडिया गेट पर नेताजी का होलोग्राम और किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा

(फोटो: PTI, ट्विटर/@KanchanGupta/Altered by The Quint)

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Central Vista: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार शाम सेंट्रल विस्टा एवेन्यू कर्तव्य पथ (पहले राजपथ) के उद्घाटन के साथ-साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) की प्रतिमा का भी अनावरण करेंगे. सुभाष चंद्र बोस की ये प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थित कैनोपी में लगाई जाएगी, जहां पहले एक महाराजा की मूर्ति हुआ करती थी.

सुभाष चंद्र बोस की ये प्रतिमा 13 हजार करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसके तहत दिल्ली को नई संसद, राजपथ और मंत्रालयों के लिए नई इमारतें मिलने जा रही हैं.

इसी साल जनवरी में, प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की थी कि इंडिया गेट पर नेताजी की एक बड़ी प्रतिमा लगाई जाएगी, और जब तक नई प्रतिमा तैयार नहीं होती है, तब तक नेताजी का होलोग्राम लगाया जाएगा. 23 जनवरी 2022 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर उनके होलोग्राम का अनावरण किया गया था.

जिस जगह नेताजी की प्रतिमा लगाई गई है, उस जगह का अपना एक इतिहास है. नेताजी की प्रतिमा से पहले यहां किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा थी.

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सबसे पहले लगी थी किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा

इंडिया गेट का निर्माण 1920 में पहले विश्व युद्ध के स्मारक के तौर पर तैयार किया गया था. किंग्सवे (अब कर्तव्य पथ) पर स्थित इस स्मारक को नई दिल्ली के मुख्य आर्किटेक्ट एडविन लुटियन्स ने डिजाइन किया था. 1936 में, इंडिया गेट के पास ही, छह सड़कों के मिलन पर एक 73 फुट की कैनोपी को बनाया गया था.

कैनोपी को किंग जॉर्ज पंचम को श्रद्धांजलि के रूप में जोड़ा गया था, और उनकी 50 फुट की संगमरमर की मूर्ति रखी गई थी, जिसे चार्ल्स सार्जेंट जैगर ने तैयार किया था.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 3 जनवरी 1943 को, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इस प्रतिमा के साथ तोड़-फोड़ की गई और इसे काले कपड़े में लपेट दिया गया.

इंडिया गेट पर किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा

(फोटो: ट्विटर/@KanchanGupta)

1947 में भारत की आजादी के बाद इस प्रतिमा का पुरजोर विरोध हुआ, लेकिन दो दशकों तक ये प्रतिमा वहीं बनी रही. इसके बाद, 1968 में इस प्रतिमा को कॉरोनेशन पार्क में लगा दिया गया.

इसके बाद अलग-अलग सरकारों ने इस कैनोपी पर महात्मा गांधी से लेकर जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की प्रतिमा लगाने की कोशिशें की, लेकिन पचास सालों से ये खाली ही रही. अब यहां सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगेगी.

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