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भारत सरकार और ट्विटर के 'तनावपूर्ण' रिश्ते एक बार फिर सामने आए हैं. 8 फरवरी को न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सरकार ने ट्विटर से 1178 'पाकिस्तानी-खालिस्तानी अकाउंट' हटाने के लिए कहा है. सरकार का कहना था कि ये अकाउंट किसानों के विरोध प्रदर्शन के बारे में गलत और भड़काऊ सूचना फैला रहे हैं. इस पर ट्विटर ने अभी अमल नहीं किया है और साथ ही कह दिया है कि 'ट्वीट्स होते रहने चाहिए.'
केंद्र सरकार ने अकाउंट्स हटाने का निर्देश आईटी एक्ट के सेक्शन 69 (A) के तहत दिया था. ये सरकार को उन पोस्ट्स या अकाउंट्स के खिलाफ कार्रवाई करने की पावर देता है, जो पब्लिक आर्डर के लिए एक 'खतरा' हो सकते हैं.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्विटर ने सरकार की तरफ से नॉन-कंप्लायंस नोटिस मिलना स्वीकार किया है. ट्विटर के एक प्रवक्ता ने कहा, "हमारा इस बात पर दृढ़ विश्वास है कि इंफॉर्मेशन के ओपन और फ्री एक्सचेंज से एक पॉजिटिव ग्लोबल इम्पैक्ट होता है और ट्वीट्स होते रहने चाहिए."
ट्विटर का कहना है कि कंपनी ने केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद से एक औपचारिक बातचीत के लिए संपर्क किया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने कहा कि 'एम्प्लॉई की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है.'
31 जनवरी को आईटी मंत्रालय ने ट्विटर को 257 हैंडल्स और ट्वीट्स की एक लिस्ट भेजी थी और इन्हें ब्लॉक करने को कहा था. इन्हें ब्लॉक करने के पीछे भी सरकार ने किसान आंदोलन से जुड़ी भ्रामक जानकारी शेयर करना बताया था.
ट्विटर ने सरकार की बात मानते हुए इन्हें कुछ घंटों के लिए ब्लॉक किया था. हालांकि, फिर एकतरफा फैसले में इन एकाउंट्स को रिस्टोर भी कर दिया गया था.
आईटी मंत्रालय ने नोटिस में कथित तौर पर लिखा, "ये ध्यान में रखा जाए कि इस कदम की अव्यवहारिकता और असमानता ट्विटर तय नहीं कर सकता, जो कि एक मध्यस्थ है और केंद्र सरकार के आदेशों से बंधा है."
3 फरवरी को ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी ने वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्टर करेन अतिया के दो ट्वीट को लाइक किया. इन दोनों ट्वीट्स में #FarmersProtest का इस्तेमाल किया गया था.
डॉर्सी के इस कदम पर सरकार ने ऐतराज जताया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक टॉप सरकारी सूत्र ने कहा, "अगर ट्विटर के फाउंडर खुले तौर पर पक्ष लेंगे, तो ये प्लेटफॉर्म की निष्पक्षता और भारत के इस संबंध में निवेदनों से कैसे निपटेगा, इस पर सवाल खड़े करेगा."
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