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मोदी सरकार ने राम मंदिर मामले में नया प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है और सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो अयोध्या में गैर विवादित जमीन रिलीज कर दें.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो अर्जी लगाई है उसमें कहा गया है कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद स्थल पर विवादित जमीन के पास की गैर विवादित जमीन राम जन्मभूमि न्यास को दी जाए. सुप्रीम कोर्ट से सरकार ने अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन को रिलीज करने के निर्देश देने की मांग की है. इस जमीन का 0.313 एकड़ हिस्सा विवादित है.
अयोध्या मामले पर इलाहाबाद कोर्ट के 2010 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (29 जनवरी) से सुनवाई होनी थी. हालांकि, सुनवाई करने वाली 5 जजों की बेंच के एक जज जस्टिस एस.ए. बोबडे के उपलब्ध न होने की वजह से यह सुनवाई टल गई.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को 5 जजों की बेंच का पुनर्गठन किया था, क्योंकि जस्टिस उदय उमेश ललित ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने ऐसा तब किया था, जब वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा था कि जस्टिस उदय उमेश ललित बाबरी मस्जिद से संबंधित एक मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की तरफ से एक वकील के रूप में पेश हुए थे.
सोमवार को केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि अयोध्या मामले पर कोर्ट में बिना टले सुनवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा था, ''अयोध्या मामला 70 सालों से लंबित है. इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला मंदिर के पक्ष में था, लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. इस मामले का जल्दी से समाधान होना चाहिए.''
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश के कई संगठन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाने में लगे हैं. ऐसे में इस मामले को लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी दबाव में नजर आ रही है.
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