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नैनीताल, मसूरी की अत्यधिक भीड़ व गिने चुने दर्शनीय स्थलों से ऊब गये हो तो कुमाऊँ मंडल के चम्पावत जनपद भी एक दर्शनीय स्थल हो सकता है.
चम्पावत, उत्तराखंड (Champawat Uttarakhand) राज्य के सबसे खूबसूरत कस्बे में से एक है. यह दिल्ली से लगभग 420 किलोमीटर की दूरी पर है. मई -जून के महीने में घूमने के लिए यह एक दम सर्वोपरि जगह है. प्रकृति की खूबसूरती से घिरा यह कस्बा किसी स्वर्ग से कम नहीं है. चम्पावत अपनी शुद्ध हवा, पानी और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है. यहां पर खूबसूरत किले से लेकर मंदिर तक सब कुछ देखने के लिए उपलब्ध है.
चम्पावत में बाणासुर किला बेहद प्रसिद्ध है. इस किले की अपनी अलग ही मान्यता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यहां श्रीकृष्ण ने बाणासुर राक्षस का वध किया था. कहा जाता है कि बाणासुर के सौ हाथ थे. वह बेहद बलशाली था. इस किले के आस पास केवल हरियाली ही हरियाली है. यहां से लोहाघाट नदी के उद्गम को देखा जा सकता हैं. इस किले तक पहुंचने के लिए लगभग 2 किलोमीटर की दूरी तय करना होगा. जहां पर ट्रैकिंग का आनंद लिया जा सकता है.
यदि आप घूमने के अलावा देव दर्शन करने के इच्छुक हैं तो बॉलेश्वर मंदिर से अच्छा और कुछ नहीं है. यह चम्पावत के सबसे पुराने मंदिर में से एक है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. बालेश्वर मंदिर को चंद वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था. साथ ही यह मंदिर पत्थर की नक्काशी का एक अद्भुत नमूना है.
स्थानीय भाषा में नौला, बावड़ी को कहा जाता है. नौले का पानी बेहद साफ और ठंडा होता है. इस नौला की खासियत यह है कि यह एक हाथ वाले इंसान ने बनाया था. कहा जाता है जिस व्यक्ति ने यह नौला बनाया था, उसका एक हाथ राजा ने कटवा दिया था, ताकि वह दोबारा ऐसी कलाकृति न बना सके. इस नौला की खूबसूरती को जरूर देखना चाहिए.
एबट माउंट चर्च चंपावत के सबसे खूबसूरत और अद्भुत जगहों में से एक है. इस चर्च का निर्माण 1910 में हैराल्ड एबट ने 86 एकड़ जमीन भूमि लीज पर खरीदी थी. इस जमीन पर करीब 18 कोठियां बनाई गई थीं. जहां केवल अंग्रेज रहा करते थे. कहा जाता है कि एबट ने अपनी पत्नी की याद में इस चर्च का निर्माण करवाया था.
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