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लोन फ्रॉड मामले में आईसीआईसीआई की पूर्व सीईओ चंदा कोचर की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं. ICICI-Videocon मामले में ईडी उन पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही है. अब इस जांच में एक नया खुलासा हुआ है. बताया जा रहा है कि इस मामले में चंदा कोचर और उनके परिवार को 500 करोड़ रुपये का फायदा मिला था.
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चंदा कोचर को मोटी रिश्वत या फायदा मिलने की बात सामने आई है. जिसके बाद अब कोचर फैमिली की संपत्तियां जब्त हो सकती हैं. सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ईडी फिलहाल ये देख रही है कि कुल कितना लोन कितने समय में पास किया गया. जिसके बाद चंदा कोचर और दीपक कोचर के पास जो भी संपत्तियां हैं उन्हें जब्त करने की कवायद शुरू होगी.
इससे पहले ईडी ने वीडियोकॉन लोन फ्रॉड मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत के घरों और दफ्तरों की तलाशी ली. ईडी के सूत्रों के मुताबिक मुंबई में उनके कम से कम पांच दफ्तरों, घरों और कुछ अन्य जगहों पर तलाशी ली गई. सीबीआई की ओर से पिछले महीने दर्ज शिकायत के बाद ईडी ने तलाशी का फैसला लिया. पिछले महीने सीबीआई ने इन लोगों के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया था.
आरोप है कि वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी Nupower में अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी के जरिये निवेश किया था. इसके लिए वेणुगोपाल धूत ने जो लोन लिया था. उसे चंदा कोचर के आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ रहते मंजूर किया गया था. बाद में एक जटिल डील में Nupower और सुप्रीम एनर्जी ने मालिकाना हक में अदलाबदली की थी.
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