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चंदा कोचर-पति दीपक गिरफ्तार, क्या है 3250 Cr लोन के बदले फायदा लेने का केस?

ICICI बैंक की पूर्व CEO-MD चंदा कोचर: दिसंबर 2017 में CBI ने लोन की मंजूरी से जुड़ीं प्रारंभिक जांच दर्ज की थी.

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<div class="paragraphs"><p><strong>Chanda Kochhar Deepak Kochhar arrested</strong></p></div>
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Chanda Kochhar Deepak Kochhar arrested

(Photo-IANS)

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केंद्रीय एजेंसी CBI ने ICICI बैंक की पूर्व सीईओ और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर (Chanda Kochhar) और उनके पति दीपक कोचर (Deepak Kochhar) को गिरफ्तार कर लिया है. 59 वर्षीय चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में ICICI बैंक से इस्तीफा दे दिया था. आपको बताते हैं कि चंदा कोचर और उनके पति पर क्या आरोप है और उन्हें क्यों गिरफ्तार किया गया है?

चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को CBI ने वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए 3,250 करोड़ रुपये के लोन में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया है. यह लोन उस समय दिया गया था जब कोचर इस प्राइवेट बैंक का नेतृत्व कर रही थीं. यह लोन ICICI बैंक के लिए एक गैर-निष्पादित संपत्ति/NPA बन गया. CBI ने कोचर पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.

एक व्हिसलब्लोअर ने आरोप लगाया था कि चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और उनके परिवार के सदस्यों को भी सौदे से फायदा हुआ था.

आरोपों के अनुसार वीडियोकॉन समूह को बैंक से लोन मिलने के कुछ ही महीने में वीडियोकॉन समूह के पूर्व अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत ने कथित तौर पर कोचर द्वारा स्थापित एक कंपनी न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स में करोड़ों रुपये का निवेश किया था.

दिसंबर 2017 में CBI ने लोन की मंजूरी से जुड़ीं प्रारंभिक जांच दर्ज की थी.

CBI का आरोप है कि वीडियोकॉन समूह को दिए इस लोन को एक समिति द्वारा मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर भी शामिल थीं. एजेंसी का कहना है कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और वीडियोकॉन को लोन मंजूर करने के लिए वेणुगोपाल धूत से अपने पति के माध्यम से अवैध/अनुचित लाभ प्राप्त किया.

बता दें कि यह लोन ₹ 40,000 करोड़ के कुल लोन का एक हिस्सा था जो वीडियोकॉन को भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में 20 बैंकों के एक संघ/कंसोर्टियम से मिला था.
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चंदा कोचर ने किया है आरोपों से इनकार 

तीन दशकों से अधिक समय तक भारत के तीसरे सबसे बड़े लोन देने वाले बैंक के साथ काम करने वालीं और सबसे प्रभावशाली महिला बैंकरों में से एक बनने वालीं कोचर ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है. उन्होंने अपने बयान में कहा था कि "मैं दोहराती हूं कि बैंक में लोन देने का कोई भी निर्णय एकतरफा नहीं है...संगठन का डिजाइन और ढांचा हितों के टकराव की संभावना को कम करता है."

जनवरी 2019 में, ICICI बैंक के बोर्ड ने कोचर को बर्खास्त कर दिया और 2009 से उन्हें दिए गए सभी बोनस वापस लेने का फैसला किया, जब उन्होंने CEO का कार्यभार संभाला था.

दिसंबर 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने चंदा कोचर की सेवाओं को समाप्त करने के ICICI बैंक के फैसले को बरकरार रखते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.

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