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तेलुगु देशम पार्टी (Telugu Desam Party) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) को शनिवार की सुबह CID ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया है. देश और दक्षिण भारत की राजनीति जगत में चंद्रबाबू नायडू एक बड़ा नाम हैं. फिलहाल, वे वर्तमान में आंध्र प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. उनके नाम संयुक्त आंध्र प्रदेश में सबसे लंबे समय तक कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड है. आइए जानते हैं उनका राजनीतिक सफर.
एन चंद्रबाबू नायडू का पूरा नाम नारा चंद्रबाबू नायडू है. उनका जन्म 20 अप्रैल, 1950 में तिरुपति के पास एक छोटे से गांव नरवरिपल्ली में हुआ था. उनके पिता का नाम एन. खर्जुरा नायडू और मां का नाम अमनम्मा था. उनकी पत्नी का नाम नारा भुवनेश्वरी है. उनका एक बेटा है, जिसका नाम नारा लोकेश है.
चंद्रबाबू नायडू ने अपने छात्र जीवन के दौरान ही राजनीति की दुनिया में कदम रख दिया था. आपातकाल के बाद, वे 1978 में कांग्रेस में शामिल हो गए. 1975-77 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकालीन शासन के दौरान उन्होंने स्थानीय लेवल पर कांग्रेस के युवा अध्यक्ष के रूप में काम किया था.
चंद्रबाबू नायडू ने एनटीआर की बेटी से शादी की. एनटीआर एक प्रसिद्ध अभिनेता और टीडीपी के संस्थापक थे. नायडू 1983 के विधानसभा चुनावों में टीडीपी उम्मीदवार से हार गए, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया और टीडीपी में शामिल हो गए. एक दशक पार्टी में रहने के बाद 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एन टी रामाराव यानी उनके ससुर के खिलाफ सत्तापलट हुआ. जिसके बाद चंद्रबाबू आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए.
इसके बाद, उन्होंने पार्टी को मजबूत करना जारी रखा. उनके नेतृत्व में ही, 1996 के लोकसभा चुनाव में टीडीपी ने कुल 16 सीटें जीतीं. सितंबर-अक्टूबर 1999 के लोकसभा चुनावों में, टीडीपी की जीत ने चंद्रबाबू की साख और मजबूत कर दी. उनकी पार्टी ने 29 सीटें हासिल कीं थी. इसके बाद उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को अपना समर्थन दिया. इसके अलावा, अक्टूबर 1999 में वे फिर से मुख्यमंत्री बने. लगातार दो बार जीत हासिल करने के बाद टीडीपी अगला चुनाव हार गई और नायडू ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया.
1973: चित्तूर जिले में चंद्रबाबू नायडू ने युवा कांग्रेस के झंडे तले छात्र जीवन में ही राजनीति की दुनिया में कदम रखा था.
1975: वे युवा कांग्रेस अध्यक्ष, संजय गांधी और नारला साईकरन के संपर्क में आए और उनके समर्थक बन गए.
1989: नायडू ने कुप्पम विधानसभा सीट से कांग्रेस के बीआर दोरास्वामी नायडू के खिलाफ चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.
1989-1994: वे 1989-1994 तक TDP के लिए पार्टी समन्वयक के रूप में अपना योगदान दिया.
1994: चंद्रबाबू नायडू ने कुप्पम से फिर से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
1995: 1 सितंबर 1995 को उन्होंने आंध्र प्रदेश के 13वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
1999: उन्होंने कुप्पम विधानसभा में फिर से ताल ठोंकी और कांग्रेस के एम. सुब्रमण्य रेड्डी को हरा दिया. वे सीएम की कुर्सी पर काबिज रहें.
1999: 1999 में कुप्पन के विधानसभा चुनाव में वे फिर से जीत हासिल की. उन्होंने कांग्रेस के एम. सुब्रमण्य रेड्डी को 65687 मतों के अंतर से हराया. वे सीएम बने रहें.
2004: चंदबाबू नायडू ने फिर से कुप्पम से जीत हासिल की लेकिन 2004 के विधानसभा चुनावों में टीडीपी की हार के बाद सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में नियुक्त किया गया. वे सबसे लंबे समय तक विपक्षी नेता रहे.
2009: 2009 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से जीत दर्ज की.
2014: तेलंगाना के संयुक्त आंध्र प्रदेश से अलग होने पर नायडू फिर से मुख्यमंत्री बने. 8 जून 2014 को वे आंध्र प्रदेश के नवगठित राज्य के पहले सीएम बने.
आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद नायडू संयुक्त आंध्र के पहले मुख्यमंत्री बने.
उनके नाम सबसे लंबे समय यानी 8 साल, 8 महीने और 13 दिन तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का रिकॉर्ड है.
इसके अलावा, वे आंध्र प्रदेश विधानसभा में सबसे लंबे समय तक रहने वाले विपक्ष के नेता हैं.
वे 28 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के विधानसभा सदस्य और कैबिनेट में मंत्री बने.
2014 के लोकसभा चुनाव में नायडू के नेतृत्व में टीडीपी ने 175 सीटों में से 102 सीटें जीती थीं.
1999 के आम चुनावों के दौरान, नायडू के नेतृत्व वाली TDP ने आंध्र प्रदेश में बड़ी जीत हासिल की थी. पार्टी ने 294 सीटों में से 185 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया और यह बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन सरकार में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
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