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Chardham Yatra: अब तक 63 घोड़े-खच्चर की मौत, मेनका से लेकर PFA ने उठाई आवाज

Chardham Yatra शुरू होने के बाद अब तक अब तक 84 लोगों की मौत सेहत कारणों से हो चुकी है

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>Chardham Yatra के दौरान यात्रियों की संख्या बढ़ने के कार घोड़ो और खच्चरों पर बढ़ा लोड</p></div>
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Chardham Yatra के दौरान यात्रियों की संख्या बढ़ने के कार घोड़ो और खच्चरों पर बढ़ा लोड

(फोटो- क्विंट)

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इन दिनों उत्तराखंड राज्य में चार धाम यात्रा चरम पर है. राज्य के दो धाम यमुनोत्री व केदारनाथ विकट धाम है. ऐसे में श्रृद्धालु घोडे खच्चरों से ही आवागमन करते है. बता दें, चारधाम यात्रा के दौरान सेहत कारणों से श्रद्धालुओं की मौतों के कई मामले सामने आ रहे हैं. यात्रा शुरू होने के बाद अब तक 84 लोगों की मौत सेहत कारणों से हो चुकी है. वहीं, भारी संख्या में यात्रियों के आने के कारण घोड़े और खच्चरों पर लोड बढ़ गया है और वे रास्ते में दम तोड़ रहे हैं. अब तक 63 से अधिक घोड़े-खच्चर मर चुके है

मेनका से लेकर पीपुल्स फॉर एनिमल ने उठाई आवाज

चारधाम यात्रा के दौरान घोड़े और खच्चरों की मौत पर संज्ञान लेते हुए मेनका गांधी ने कहा है कि यात्रा के बाद घोड़े और खच्चरों 3 को 4 घंटे का आराम मिलना चाहिए. शुक्रवार को उन्होंने पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से बात कर घोड़े-खच्चरों की मौत के मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है. मेनका गांधी ने भी पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से दूरभाष पर वार्ता कर चिंता व्यक्त की है. इस पर संज्ञान लेते हुए पर्यटन मंत्री महाराज सतपाल ने पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से बात कर घोड़े-खच्चरों को रेगुलेट करने के साथ उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है.

उन्होंने कहा कि मूक जानवरों का ध्यान रखना हमारा दायित्व है, इस तरह की घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी
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वहीं पीपुल्स फॉर एनिमल ने ट्वीट कर लिखा, 'धाम यात्रा में सौ से अधिक घोड़ों और खच्चरों की मौत हो चुकी है. यह एक नरसंहार है. कृपया उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को सूचित करें और उनसे चार धाम यात्रा के दौरान घोड़ों और खच्चरों के इस्तेमाल को रोकने के लिए कहें'

समुद्र तल से 11750 फिट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तक पहुंचने के लिए बाबा केदार के भक्तों को 18 किमी की दूरी तय करनी होती है. इस दूरी में यात्री को धाम पहुंचाने में घोड़ा-खच्चर अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन इन जानवरों के लिए भरपेट चना, भूसा और गर्म पानी भी नहीं मिल पा रहा है. संचालक एवं हॉकर रुपए कमाने के लिए घोड़ा-खच्चरों से एक दिन में गौरीकुंड से केदारनाथ के दो से तीन चक्कर लगवा रहे हैं और रास्ते में उन्हें पलभर भी आराम नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण वह थकान से चूर होकर दर्दनाक मौत के शिकार हो रहे हैं

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