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चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा है, लोग दूर-दूर से यात्रा करने आ रहे हैं. आज यानी 9 जून तक सवा अठारह लाख तीर्थयात्री उत्तराखंड चारधाम दर्शन के लिए पहुंच गए हैं. बता दें कि बदरीनाथ एवं केदारनाथ में हल्की बारिश है. गंगोत्री सहित चारों धामों में मां गंगा का अवतरण पर्व गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं ने स्नान किया तथा पूजा अर्चना की. रिपोर्ट्स के मुताबिक श्री बदरीनाथ धाम कपाट खुलने की तारीख 8 मई से आज तक 618312 तीर्थयात्री धाम पहुंच गए.
श्री गंगोत्री धाम कपाट खुलने की तारीख 3 मई से आज 9 जून तक 333909 तथा श्री यमुनोत्री धाम कपाट खुलने की तारीख 3 मई से आज तक 250398 तीर्थयात्री यमुनोत्री पहुंच गये हैं. अभी तक श्री बदरीनाथ-केदारनाथ पहुंचने वाले कुल तीर्थयात्रियों की संख्या 12,16,902 है.
श्री गंगोत्री-यमुनोत्री पहुंचे तीर्थ यात्रियों की संख्या 584307 रही, आज तक उत्तराखंड चारधाम पहुंचे संपूर्ण तीर्थयात्रियों की संख्या 18,01,209 है. बृहस्पतिवार शाम चार बजे तक श्री बदरीनाथ में 9362, केदारनाथ में 12578, यमुनोत्री में 6238 तथा गंगोत्री में 9049 तीर्थयात्री पहुंचे. कपाट खुलने की तारीख 22 मई से अभी तक श्री गुरूद्वारा हेमकुंट साहिब औरक लोकपाल तीर्थ पहुंचे तीर्थ यात्रियों की संख्या 63124 रही है.
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने ये सारी जानकारी देते हुए बताया कि चारधाम तीर्थयात्रियों के आंकड़े श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति/पुलिस-प्रशासन/आपदा प्रबंधन/चारधाम यात्रा प्रशासन/गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब प्रबंधन ट्रस्ट के सहयोग से चारधाम यात्रा संबंधित आंकड़ों की जानकारी पहुंचाने के मद्देनजर जारी किए गए हैं.
इस साल की चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की वजह से 120 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. जानमाल के नुकसान को संबोधित करते हुए, एक विशेषज्ञ समिति ने 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए अनिवार्य स्वास्थ्य जांच का सुझाव दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक ऊंचाई वाले तीर्थ स्थलों के रास्तों में दिल संबंधी समस्याओं और सांस फूलने की वजह से मौतें होती हैं लेकिन इस साल मरने वालों की संख्या असामान्य रूप से अधिक रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरकाशी जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केएस चौहान ने कहा कि जिले में सभी तीर्थयात्रियों की मौत पैदल यात्रा करने वाले भक्तों की थी. ट्रेकिंग रास्तों पर ऊंचाई है और जब लोग चलते रहते हैं, तो उन्हें ऑक्सीजन में अचानक कमी का एहसास नहीं होता है. लोग बिना पर्याप्त आराम के चलते रहते हैं और फिर चक्कर आने की शिकायत करते हैं. मरने वाले ज्यादातर लोगों को मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं थीं.
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