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चारधाम यात्रा: 164 ब्लैक स्पॉट, 77 क्रैश साइट...खतरों से भरा है पूरा रास्ता

Uttarkashi Bus Accident पहाड़ी रास्तों पर सख्ती बढ़ाने की जरूरत

Published
भारत
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उत्तरकाशी बस हादसे (Uttarkashi Bus Accident) में 26 लोगों की मौत के बाद चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) मार्ग पर कई तरह की कई अव्यवस्थाओं का मामला सामने आया है जिसे लेकर प्रशासन अब सतर्कता बरत रहा है. गढ़वाल परिक्षेत्र के डीआइजी ने ब्लैक स्पॉट और डेंजर जोन सुधार को लेकर एक बार फिर शासन को सूची भेजी है.

इस सूची में 164 ब्लैक स्पॉट और 77 क्रैश साइट को चिन्हित किया गया है. उत्तरकाशी बस हादसे की प्रारंभिक जांच में तेज रफ्तार और बस पर नियंत्रण खोना हादसे की वजहों के रूप में सामने आया है.

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उत्तराखंड ट्रैफिक निदेशालय ने जिन मार्गों में ब्लैक स्पॉट और क्रैश साइटों को चिन्हित किया है उनमें सड़कों की मरम्मत, सेफ्टी वॉल, संकरे रास्तों के चौड़ीकरण से संबंधित कई मुद्दे शामिल हैं जिनको ठीक किए जाने की जरूरत है.

पहाड़ी रास्तों पर सख्ती बढ़ाने की जरूरत

उत्तरकाशी बस हादसे के बाद डीआईजी गढ़वाल करन सिंह नगन्याल ने कहा जिस तरह से तेज रफ्तार होने की बात सामने आ रही है,उसे देखते हुए यात्रा मार्गों पर ओवरस्पीड में चालान की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने ये भी कहा कि अलग-अलग चेक पोस्ट में चेकिंग कर पहाड़ों की अपेक्षा वाहनों के फिटनेस की जांच और बस चालकों की मानसिक स्थिति की जांच पहले के मुकाबले ओर अधिक बढ़ाया जायेगा.

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उत्तरकाशी दुर्घटना में ड्राइवर ने अंत में लगा दी थी छलांग 

डीआईजी ने साफ किया कि जिस जगह बस खाई में गिरी, वहां रोड पूरी तरह से चौड़ी और आवाजाही के लिए सुरक्षित है. जांच में प्रथम दृष्टया प्रतीत हो रहा है कि ड्राइवर तेज गति से बस चला रहा था और ध्यान भंग होने के कारण अनियंत्रित बस दुर्घटना का शिकार हुई, लेकिन हादसे मे घायल चालक ने बताया कि बस का स्टेरिंग फेल होने के कारण ये हादसा हुआ.

ड्राइवर का कहना था कि उसने अंत समय में छलांग लगा दी थी, लेकिन पुलिस हादसे की स्थिति को स्पष्ट करने के लिए जांच कर रही है.

इन कारणों से हो रहे हैं पहाड़ों  में हादसे

चारधाम यात्रा मार्गों पर वाहन दुर्घटनाओं का सिलसिला कई सालों से जारी है. हादसों की कई वजह हैं, जिसमें सबसे ज्यादा ओवर स्पीड, मैदानी राज्यों से आने वाले वाहन चालकों को पहाड़ों में चलाने का अनुभव न होना भी एक बड़ा कारण है. दूसरी ओर प्रत्येक वर्ष पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों का टूटना, पहाड़ किनारे सेफ्टी गार्डर वॉल का क्षतिग्रस्त होना, ब्लैक स्पॉट में इजाफा होना भी एक कारण रहा है, जिसके चलते डेंजर जोनो की संख्या में इजाफा हुआ है.

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