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दिल्ली चुनाव से पहले छठ पूजा-‘वोट प्रसाद’ पाने के लिए सियासी प्लान

हर पार्टी को पता है कि छठ पूजा करने वाला वोटर जिसके घाट रुकेगा, जीत उसकी होगी

शादाब मोइज़ी
भारत
Updated:
AAP, बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक पूर्वांचल के वोटर को लुभाने में लगी है
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AAP, बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक पूर्वांचल के वोटर को लुभाने में लगी है
फोटो : अलटर्ड बाइ क्विंट

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छठ बिहार और पूर्वांचल के लोगों के लिए एक 'नेशनल फेस्टिवल' है. नदी नहीं तो तालाब, तालाब नहीं तो स्वीमिंग पूल. मतलब छठ पर एक तरफ भावनाएं उफान मारती हैं तो नेता वोट का प्रसाद पाने में जुट जाते हैं. दिल्ली में भी छठ पूजा वोट की गारंटी स्कीम जैसी है. क्योंकि दिल्ली में करीब 40 लाख ऐसे वोटर हैं, जो बिहार-झारखंड या पूर्वांचल से जुड़े हैं. मतलब आने वाले विधानसभा चुनाव में इतनी बड़ी आबादी का वोट, जैकपॉट से कम नहीं है.

ये आबादी चुनावों में किसी भी कैंडिडेट को जिताने-हराने में बड़ा रोल अदा करती है. इसलिए इन्हें लुभाने का लोभ भला कौन छोड़ सकता है?

इस आबादी की ताकत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तो छठ पूजा के लिए सिर्फ 72 घाट थे. लेकिन 2018 आते-आते ये आंकड़ा सौ, दो सौ नहीं बल्कि हजार पार कर गया. फिलहाल 1100 घाटों पर छठ पूजा का आयोजन होता है.

छठ-पूर्वांचल-बिहार और वोट का कनेक्शन

कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी इन सभी को पता है कि इतनी बड़ी आबादी जिस पार्टी के 'घाट' पर रुकेगी, उस पार्टी की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी. इसलिए तीनों पार्टियों ने बिहार और पूर्वांचल के वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

छठ पूजा का पर्व परिवार में सुख, समृद्धि और मनोकामना पूरी करने वाला माना जाता है. (फोटो: Reuters)

छठ पूजा के दिनों में घाटों पर भीड़ जुटने से पहले ही बड़े-बड़े पॉलिटिकल बैनर लगा दिए जाते हैं. घाट किसने बनवाया, किसने सजाया? जैसी चीजों के जरिए खुद को पूर्वांचली या बिहारी वोटरों का हितैशी दिखाने में जुट जाते हैं. एक-एक नेता 10-10 घाटों पर जाते हैं, लोगों से मिलते हैं और सोशल मीडिया पर घाट की तस्वीरें डालते हैं. ताकि वोटरों की कृपा में कोई कमी ना रह जाए. चलिए आपको दिल्ली की राजनीति और बिहार-पूर्वांचल का रिश्ता बताते हैं.

दिल्ली की राजनीति और बिहार-पूर्वांचल

दिल्ली में करीब 40 लाख वोटरों को देखते हुए कांग्रेस, बीजेपी और आप तीनों ने ही पूर्वांचल-बिहार पर खासा फोकस किया है. बीजेपी दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष और भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी पूर्वांचल से आते हैं. खबर ये भी है कि इस बार दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में छठ के कार्यक्रम में बिहार के डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी आएंगे.

साल 2018 में दिल्ली के एक घाट पर सफाई करते बीजेपी नेता मनोज तिवारी  (फोटो: @ManojTiwariMP)

कांग्रेस ने कीर्ति आजाद पर खेला दाव

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों से 27 पर पूर्वांचल के वोटर अहम भूमिका में हैं. इसी को समझते हुए अब कांग्रेस ने भी बिहार के दरभंगा के पूर्व सांसद कीर्ति आजाद को दिल्ली के चुनाव के लिए कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया है. कीर्ति आजाद ने भी पद संभालते ही कांग्रेस की पूर्वांचल कमेटी के साथ बैठक कर छठ पूजा के कार्यक्रमों में जोर शोर से हिस्सा लेने के लिए कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश शुरू कर दी.

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कीर्ति के अलावा कांग्रेस के पास अबतक का एकमात्र पूर्वांचली चेहरा महाबल मिश्रा ही हैं. वो 2009 में पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंच थे. हालांकि उन्हें 2019 चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

आप का प्लान ‘पूर्वांचल जन संवाद’

अगर आम आदमी पार्टी की बात करें तो वो घाटों की संख्या बढ़ाने से लेकर, छठ पूजा के दिन छुट्टी और 300 पोलिंग बूथ पर पूर्वांचल जन संवाद जैसे कार्यक्रम के जरिए वोटरों तक पहुंचना चाह रहे हैं.

यही नहीं आम आदमी पार्टी पूर्वांचल, बिहार-झारखंड से जुडे़ दूसरी पार्टियों के नेताओं को भी अपने पाले में लाने की जुगत में है. चाहे वो जनता दल यूनाइटेड के प्रधान महासचिव नरेंद्र सिंह हों या झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार.

फिलहाल छठी मैया और सूरज की पूजा वाले इस त्योहार में नेता और उनकी पार्टी जनता की आरती उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी. अब चाहे उसके लिए नाव पर सवार होकर घाट-घाट घूमना हो या एक-दूसरे पर घाट की कम सफाई और बाकी कमियों के नाम पर हल्ला बोलना हो. अब देखना है कि 4 महीने बाद दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में छठ पूजा वाला वोटर जीत प्रसाद किसे खिलाएगा.

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Published: 01 Nov 2019,07:07 PM IST

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