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छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में एक ग्राम सभा ने पंचायत एक्ट (PESA) की शक्तियों का उपयोग करते हुए कथित रूप से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें आदिवासी समुदायों के सदस्यों को ईसाइयों या हिंदुओं के खेतों में काम नहीं करने का निर्देश दिया गया है.
उसी फरमान में उन्होंने ईसाइयों को गांव की सीमा के भीतर शवों का दाह संस्कार करने से भी रोक लगाने की बात की है.
रविवार, 12 मार्च को बस्तर जिले की तोकापाल तहसील के अंतर्गत आने वाले रणसरगीपाल गांव के सदस्यों ने पंचायत की और यह दावा करते हुए प्रस्ताव पारित किया कि इलाके में "अशांति" का माहौल है.
2 जनवरी 2023 को नारायणपुर जिले में हुई हिंसा के बाद छत्तीसगढ़ के बस्तर में 'धर्म परिवर्तन' को लेकर तनाव बढ़ गया है. आदिवासियों के ईसाई धर्म में कथित 'जबरन धर्मांतरण' को लेकर दक्षिणपंथी नेताओं के नेतृत्व में आदिवासियों के एक समूह द्वारा आयोजित विरोध हिंसक हो गया था, जिसके बाद एक चर्च में तोड़फोड़ की गई थी.
विवादित फरमान का जवाब देते हुए बस्तर के जिला कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर दूसरों के साथ भेदभाव करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि 'निहित स्वार्थ' है - और कुछ लोग 'समाज के ताने-बाने को बिगाड़ने' की कोशिश कर रहे हैं.
एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने 22 दिसंबर से 24 दिसंबर 2022 के बीच उन गांवों का दौरा किया, जिन्होंने आदिवासी ईसाइयों को निष्कासित किया था. इसमें इरफान इंजीनियर, निदेशक, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड सेक्युलरिज्म ; रांची स्थित पत्रकार अशोक वर्मा; बृजेंद्र तिवारी, संयोजक, अखिल भारतीय जन मंच, छत्तीसगढ़; सहित कई नागरिक समाज और सदस्य शामिल थे.
फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कई राहत शिविरों और गांवों का दौरा किया, और पीड़ितों के साथ-साथ गांव के सरपंच और निवासियों सहित गैर-ईसाई आदिवासियों से बातचीत की. उनकी रिपोर्ट में कहा गया है:
PESA की धारा 4 (D) कहती है कि प्रत्येक ग्राम सभा लोगों की परंपराओं और रीति-रिवाजों, उनकी सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक संसाधनों और विवाद समाधान के प्रथागत तरीके की रक्षा और संरक्षण के लिए सक्षम होगी.
फैक्ट फाइंडिंग टीम के दौरे के लगभग एक हफ्ते बाद, दक्षिणपंथी समूहों के सदस्यों के नेतृत्व में एक ईसाई विरोधी भीड़ ने नारायणपुर के चर्च में तोड़फोड़ की, जिसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे.
द क्विंट से बात करते हुए छत्तीसगढ़ के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री रवींद्र चौबे ने कहा कि इस तरह के आयोजन बस्तर में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश है.
उन्होंने आगे कहा कि "ग्राम सभा और पंचायत राज के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि ग्रामीण पेसा के अभीष्ट अर्थ को समझ सकें, और गलत व्याख्या की कोई गुंजाइश न हो."
क्विंट से बात करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक स्थानीय नेता और एक आदिवासी मनीष कुंजम ने कहा कि इन प्रस्तावों के पीछे एक संदर्भ है.
कुंजम ने आगे कहा कि आदिवासी या गांव के नियमों का पालन नहीं करने वाले लोगों को बाहर करने की प्रथा नई नहीं है.
"आदिवासी समुदायों और बस्तियों में, जो लोग लंबे समय से चली आ रही परंपराओं का पालन नहीं करते थे और संस्कृति और देवताओं की अवहेलना करते थे, उन्हें गांव छोड़ने के लिए कहा जाता था. वे अब गांव समुदाय का हिस्सा नहीं होंगे और जो आप अभी देख रहे हैं वह कई आदिवासियों के बीच उस प्रथा का समान तरीके है."
एक अन्य आदिवासी नेता ने नाम नहीं छापने के शर्त पर कहा कि "हमारे मूल्यों को दरकिनार किया जा रहा है. हमारे लोग सदियों पुरानी प्रथाओं से दूर जा रहे हैं, और एक दिन, हमारी संस्कृति विलुप्त हो जाएगी. इसे केवल तभी बदला जा सकता है जब आदिवासी समुदाय पहल करता है, और इसलिए आप घटनाओं को प्रकट होते हुए देख रहे हैं, लोग अपनी संस्कृति को बचाने के लिए कानून का उपयोग कर रहे हैं."
हालांकि, बस्तर की एक वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया ने कहा कि 'भेदभावपूर्ण प्रस्ताव' 'PESA के मूल इरादे और भावना' के खिलाफ है, जिसका उद्देश्य सभी आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा और विस्तार करना है, उन्हें कम नहीं करना है.
तोकापाल थाना परपा के अंतर्गत आने वाले बेजरीपदर गांव में एक शव के अंतिम संस्कार को लेकर आदिवासी और एक समुदाय के लोग सोमवार को आपस में भिड़ गए. प्राप्त जानकारी के अनुसार ईसाई समुदाय की एक महिला सदस्य का निधन हुआ था, जिन्हें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित कब्रिस्तान में दफनाने को लेकर विवाद हो गया. तनाव की स्थिति को देखते हुए रविवार दोपहर से ही पुलिस बल की तैनाती की गई थी, लेकिन सोमवार सुबह से ही दोनों समुदाय के लोगो के बीच विवाद बढ़ गया. विशेष धर्म के लोग गांव में ही शव दफनाने की बात को लेकर अड़े रहे, वहीं गांव के मूल आदिवासियों ने किसी भी कीमत पर शव को गांव में दफनाने नहीं देने की बात कही. इस दौरान दोनों समुदाय के लोगों के बीच आपसी झड़प भी हुई.
(इनपुट-रौनक शिवहरे)
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