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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 26 अप्रैल को DRG जवानों पर हुआ नक्सली हमला सबसे घातक हमलों में से एक है. दंतेवाड़ा में माओवादियों द्वारा लगाए गए एक IED विस्फोट में 10 जवान समेत कुल 11 लोगों की जान चली गई. इस काफिले में शामिल एक जवान ने क्विंट हिंदी को बताया कि कैसे जवानों की गाड़ी IED की चपेट में आने के बाद धुआं-धुआं हो गई थी?
चपेट में आई गाड़ी के ठीक पीछे चल रही गाड़ी में बैठे जवान ने क्विंट हिंदी को बताया कि कुल 7 गाड़ियों में पुलिस के जवान नक्सली विरोधी अभियान से लौट रहे थे. इसी दौरान आगे से तीसरे नंबर पर चल रही सुरक्षा बलों की गाड़ी IED ब्लास्ट की चपेट में आ गई.
जवान ने बताया कि उनकी गाड़ी में कुल 8 जवान बैठे थे. जैसे ही आगे की गाड़ी हमले का शिकार हुई, पीछे की सारी गाड़ियां रुक गई और जवान उतरे. हमले के बाद 150-200 मीटर दूर धुएं का गुबार दिख रहा था.
सूत्रों की मानें तो हमले के पीछे एक बड़ी लापरवाही सामने आ रही है, क्योंकि जिस जगह पर ब्लास्ट हुआ है, वो जगह दो सुरक्षाबलों के कैंप के बीच में पड़ती है. वहीं, उस जगह से अरनपुर पुलिस थाना महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
वहीं, सूत्रों ने क्विंट हिंदी को बताया कि रोड ओपनिंग पार्टी (ROP), जो सैनिकों की आवाजाही से पहले मार्ग को साफ करने में शामिल है, को सक्रिय नहीं किया गया था, इस प्रकार, माओवादियों को काफिले पर हमला करने का मौका मिल गया.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 27 अप्रैल को दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में जान गंवाने वाले DRG जवान के पार्थिव शरीर को कंधा दिया.
इससे पहले 26 अप्रैल को मीडिया से बात करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "मैं शहीद हुए जवानों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. ये लड़ाई अपने अंतिम चरण में है. माओवादियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और हम योजनाबद्ध तरीके से माओवाद का सफाया करेंगे."
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