Home News India दंतेवाड़ा नक्सली हमला:क्या सुरक्षा में चूक की वजह से हुआ हमला?तस्वीरों में कहानी
दंतेवाड़ा नक्सली हमला:क्या सुरक्षा में चूक की वजह से हुआ हमला?तस्वीरों में कहानी
बस्तर के IG ने बताया कि जवान माओवादी विरोधी अभियान से लौट रहे थे जब उनपर हमला किया गया.
विष्णुकांत तिवारी & रौनक शिवहरे
भारत
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बस्तर के IG ने बताया कि जवान माओवादी विरोधी अभियान से लौट रहे थे जब उनपर हमला किया गया.
(फोटो: PTI)
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हाल के दिनों में, छत्तीसगढ़ में सबसे घातक हमलों में से एक, दंतेवाड़ा जिले में माओवादियों द्वारा लगाए गए एक IED विस्फोट में 26 अप्रैल को 10 जवान और एक बस चालक की मौत हो गई. सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि ये सुरक्षा चूक का मामला हो सकता है और माओवादी उस समय से जवानों पर नजर रख रहे होंगे, जब वो ऑपरेशन के लिए निकले थे.
(फोटो: रौनक शिवहरे)
सभी 10 सुरक्षाकर्मी DRG (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के थे. उन्हें दंतेवाड़ा डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर्स से अरनपुर थाना क्षेत्र में माओवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी के आधार पर माओवादी विरोधी अभियान के लिए भेजा गया था. वो अभियान से लौट रहे थे जब उनपर हमला किया गया.
(फोटो: PTI)
मृतकों की पहचान हेड कॉन्स्टेबल जोगा सोदी, मुन्ना राम कड़ती और संतोष तमो, कॉन्स्टेबल दुलगो मंडावी, लखमु मरकाम, जोगा कवासी और हरिराम मांडवी, तीन गोपनीय सैनिक राजू राम करतम, जयराम पोडियम, जगदीश कवासी और ड्राइवर धनीराम यादव के रूप में हुई है. पुलिस ने 26 अप्रैल को बताया कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.
(फोटो: रौनक शिवहरे)
बस्तर के IG पी सुंदरराज ने मीडिया को बताया "DRG के जवान माओवादी विरोधी अभियान पर गए थे और जब वो दंतेवाड़ा हेडक्वार्टर्स लौट रहे थे तो उन पर घात लगाकर हमला किया गया."
(फोटो: रौनक शिवहरे)
सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि रोड ओपनिंग पार्टी (ROP), जो सैनिकों की आवाजाही से पहले मार्ग को साफ करने में शामिल है, को सक्रिय नहीं किया गया था, इस प्रकार, माओवादियों को काफिले पर हमला करने का मौका मिल गया.
(फोटो: PTI)
पुलिस सूत्रों ने बताया कि नक्सलियों ने हमले को अंजाम देने के लिए करीब 40-50 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया. विस्फोट से अरनपुर-जगरगुंडा मार्ग पर 15-20 फुट चौड़ा एक बड़ा गड्ढा हो गया. चश्मदीदों ने दावा किया कि शव विस्फोट की जगह से 150 मीटर की दूरी पर जा गिरे थे.
(फोटो: रौनक शिवहरे)
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आमतौर पर यात्रा करने के लिए मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करने वाले DRG के जवान चार पहिया वाहनों से लौट रहे थे. सूत्रों का कहना है कि DRG सुरक्षाकर्मियों ने हाल के दिनों में उन्हीं वाहनों का इस्तेमाल किया था, और हो सकता है कि इसने "माओवादियों के लिए उन्हें पहचानने, ट्रैक करने और हमला करने के एक अवसर के रूप में काम किया हो."
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इस घटना के अहम पहलुओं में से एक ये है कि घटना स्थल सिक्योरिटी फोर्स के दो कैं के बीच में पड़ता है, मुश्किल से लगभग 10 किमी की दूरी पर, वहीं अरनपुर पुलिस थाने से ये मुश्किल से 2-3 किमी दूर है.
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सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि ये हमला सुरक्षा में एक गंभीर चूक थी, खासतौर पर ये ध्यान में रखते हुए कि माओवादी कथित रूप से दो सिक्योरिटी कैंप के बीच IED लगाने में सक्षम थे.
(फोटो: PTI)
मीडिया से बात करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, "मैं शहीद हुए जवानों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. ये लड़ाई अपने अंतिम चरण में है. माओवादियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा और हम योजनाबद्ध तरीके से माओवाद का सफाया करेंगे."