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Chhattisgarh के कई इलाकों में सूखे के हालात, कोरबा, बलरामपुर से ग्राउंड रिपोर्ट

Korba एक औद्योगिक जिला है ,यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सिंचाई सुविधा खेतों तक पर्याप्त रूप से नहीं पहुंच पाती.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>Chhattisgarh के  बलरामपुर में खेत इस तरह से सूखे पड़े हैं: ग्राउंड रिपोर्ट</p></div>
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Chhattisgarh के बलरामपुर में खेत इस तरह से सूखे पड़े हैं: ग्राउंड रिपोर्ट

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कई इलाके सूखे जैसी हालत का सामना कर रहे हैं. क्विंट की टीम ने कोरबा और बलरामपुर में जाकर वहां के हालात देखे. कोरबा में इस साल जहां सामान्य से 31 फीसदी कम बारिश हुई है वहीं बलरामपुर में सामान्य से 60 फीसदी कम बारिश हुई है. त्राहिमाम करते किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सूबे के सीएम भूपेश बघेल ने दोनों जगह के कलेक्टर को सख्त निर्देश दिए हैं.

कम बारिश से कराह रहा कोरबा

कोरबा (Korba) जिले में कम बारिश के कारण 81 हजार 760 हेक्टेयर में से 74 हजार 98 हेक्टेयर में धान की फसल पर खतरा मंडरा रहा है.

जिले की सात में से चार तहसीलों में कम बारिश हुई है.

कोरबा तहसील - यहां पिछले दस साल में 1 जून से 4 अगस्त के बीच आम तौर पर 633 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार महज 376 मिलीमीटर बारिश हुई है

दर्री तहसील-यहां पिछले दस साल में 1 जून से 4 अगस्त के बीच आम तौर पर 618 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार महज 333 मिलीमीटर बारिश हुई है

हरदीबाजार तहसील - यहां पिछले दस साल में 1 जून से 4 अगस्त के बीच आम तौर पर 601 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार महज 344 मिलीमीटर बारिश हुई है

पोड़ीउपरोड़ा तहसील - यहां पिछले दस साल में 1 जून से 4 अगस्त के बीच आम तौर पर 560 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार महज 361 मिलीमीटर बारिश हुई है

कम बारिश से कराह रहा कोरबा

(ग्राफिक्स -क्विंट हिंदी)

अभी तक सिर्फ दर्री तहसील को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. लेकिन बाकी तहसीलों के किसान सिंचाई सुविधा नहीं होने की वजह से साल भर की मेहनत और मुरझाते धान के पौधों को अपनी आंखों के सामने मुरझाते देख रहे हैं.

"हम जिस क्षेत्र में रहते हैं वह काफी खेती किसानी वाला क्षेत्र है, और इस क्षेत्र में किसान खेती से ही अपना जीवन यापन पूरा करते हैं.पहले की अपेक्षा बारिश की बहुत बुरी हालत है. ऐसा लग रहा है जैसे अकाल पड़ चुका है, ऐसा त्राहि त्राहि का समय हमने पहले कभी नहीं देखा था."
कोरबा के किसान

किसानों का मानना है कि इन तहसीलों को सूखाग्रस्त तहसीलों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजना चाहिए.

दीर्घकालिक सिंचाई परियोजनाओं पर काम की दरकार

किसानों का कहना है कि कोरबा एक औद्योगिक जिला है ,यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सिंचाई सुविधा खेतों तक पर्याप्त रूप से नहीं पहुंच पाती. जिले में बांगो, हसदेव बराज सहित दर्जनों परियोजनाएं हैं लेकिन इनका लाभ ढलान क्षेत्र के ही किसानों को मिल पाता है. ऊपरी क्षेत्र होने की वजह से कोरबा के 80 फीसदी से अधिक किसानों के खेतों में मानसून का ही पानी पहुंच पाता है या फिर किसान अपने स्तर पर अन्य सिंचाई के साधन जुटाकर सिंचाई कर पाते हैं.

सर्वे करते कोरबा कलेक्टर संजीव झा

(फोटो- क्विंट) 

किसानों का मानना है कि कोरबा में दीर्घकालिक सिंचाई योजनाओं पर काम किए जाने की नितांत आवश्यकता है.

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राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने सभी कलेक्टरों को लिखा पत्र

प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने राज्य के सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर प्रदेश में मानसून 2022 में कम वर्षा के कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न होने पर तत्काल कार्यवाही किए जाने का निर्देश दिया है.

कलेक्टर संजीव झा ने जिले का दौरा कर कम बारिश का जायजा लिया.

(फोटो- क्विंट) 

कोरबा कलेक्टर संजीव झा ने जिले में अल्प वर्षा, खंड वर्षा और अवर्षा की स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने तहसील दर्री के क्षेत्र के स्याहीमुड़ी और तहसील पोड़ी उपरोड़ा के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर खुद खेतों की हालत देखी.

उन्होंने विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के अंतर्गत ग्राम तानाखार और कोरबी में विभिन्न किसानों के खेतों में पैदल चलकर फसलों की स्थिति का जायजा लिया. साथ ही कम वर्षा के कारण प्रभावित फसल की पूर्ति के लिए वैकल्पिक रूप में कुल्थी, रामतिल, उड़द, तोरिया आदि फसल लेने के लिए किसानों से चर्चा भी की.

बलरामपुर में भी कम बारिश से किसान परेशान  

बलरामपुर जिले में भी बारिश नहीं होने की वजह से इन दिनों किसान काफी परेशान दिख रहे हैं. इंद्रदेव को मनाने के लिए किसान मेंढक-मेंढकी की शादी के साथ तमाम तरीके के टोटके भी अपना रहे हैं, लेकिन बारिश नहीं हुई. खेत में लगी हुई फसल भी अब खराब होने की कगार पर आ चुकी है. जिले में इस बार 60% कम वर्षा हुई है, जिससे किसान परेशान हैं.

क्षेत्र में बारिश कम होने की वजह से क्षेत्र के नदी तालाब भी सूखने लगे हैं. वहीं खेतों में दरारे भी पड़ने लगी हैं. किसानों का मानना है कि अगर उनकी फसल नहीं हुई तो उनके सामने एक बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी. किसान भगवान भरोसे खेती कर तो रहे हैं लेकिन उन्हें अब इसका नुकसान होने का भी डर सताने लगा है.

सूखे के कारण खेतों में पड़ती दरारें 

फोटो- क्विंट हिंदी  

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बलरामपुर कलेक्टर को खुद जाकर आकलन लेने के निर्देश दिए हैं. बलरामपुर कलेक्टर ने जिले के राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को आकलन करने के निर्देश दिए हैं.

(इनपुट - अब्दुल असलम, संतोष चौधरी)

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