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भारत के चीफ जस्टिस एन वी रमना (CJI NV Ramana) ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) की उपस्थिति में देश में न्याय से जुड़े बुनियादी ढांचे के बारे में अपनी चिंता जताई. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के नए एनेक्स भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए उन्होंने कानून मंत्री से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि संसद के शीतकालीन सत्र में राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव लाया जाए.
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कार्यक्रम में कहा कि,
चीफ जस्टिस ने बताया कि केवल 5 प्रतिशत कोर्ट परिसरों में बेसिक चिकित्सा सहायता है 26 प्रतिशत कोर्ट में महिलाओं के लिए अलग शौचालय नहीं हैं.
न्यायपालिका से जुड़े उचित बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि "यदि आप न्यायिक प्रणाली से अलग परिणाम चाहते हैं, तो हम इस वर्तमान स्थिति में काम करना जारी नहीं रख सकते."
न्यायिक बुनियादी ढांचे से जुड़े अहम प्रस्ताव पर उन्होंने कहा, 'मैंने केंद्रीय कानून मंत्री को प्रस्ताव भेजा है. मैं जल्द ही सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहा हूं और केंद्रीय कानून मंत्री इस प्रक्रिया में तेजी लाएंगे.”
यह बताते हुए कि भारत में अदालतें संवैधानिक अधिकारों की गारंटी का आश्वासन देती हैं और लोगों को कार्यपालिका के कार्यों से बचाती हैं, CJI ने कहा,
गौरतलब है कि यह दूसरी बार है जब चीफ जस्टिस ने कानून मंत्री के साथ मंच साझा करते हुए न्यायपालिका से जुड़े मुद्दे को उठाया है. पिछली बार हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को सरकार से शीघ्र मंजूरी लेने के मुद्दे पर उन्होंने बात की थी.
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