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भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने देश की जांच एजेंसियों को बड़ी नसीहत दी है. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों को "संतुलन कायम करने की तत्काल आवश्यकता" है क्योंकि एजेंसियों द्वारा व्यक्तिगत सामानों की गलत जब्ती किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार की चिंताओं को बढ़ाती है.
डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार (1 अप्रैल) को कहा कि प्रमुख जांच एजेंसियों को उन मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के खिलाफ अपराध शामिल हैं.
सीजेआई ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पहले निदेशक की स्मृति में 20वें डीपी कोहली मेमोरियल व्याख्यान में अपने मुख्य भाषण के दौरान ये टिप्पणियां कीं. देश के मुख्य न्यायाधीश द्वारा यह टिप्पणियां ऐसे वक्त में की गई है,जब विपक्षी नेताओं पर हो रही कार्रवाई की वजह से केंद्रीय एजेंसियों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को हाल ही में गिरफ्तार किया गया. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम, ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी समेत कई विपक्षी नेता केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर हैं.
भ्रष्टाचार के आरोप की जांच और सुनवाई में शामिल कठिनाई को रेखांकित करते हुए, सीजेआई ने कहा कि न्याय 'तेजी' से होना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा, "न्याय का तरीका तेज होना चाहिए. जब उन पर किसी अपराध का आरोप लगाया जाता है तो अभियुक्तों का जीवन बदल जाता है और उनकी प्रतिष्ठा को काफी ठेस पहुंचती है. इसलिए मामलों के निपटारे में देरी न्याय देने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बाधा बन जाती है."
CJI ने नए क्रिमिनल लॉ की भी सराहना की और इसे "न्याय प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम" बताया.
उन्होंने सुझाव दिया कि जांच प्रक्रिया को डिजिटल बनाना जरूरी है, जो FIR दाखिल करने से शुरू होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि केस ज्यादा हैं, जिसकी वजह से देरी होती है. देरी को कम करने के लिए टेक्नॉलजी का लाभ उठाने की जरूरत है.
अपराध का तरीका बहुत तेजी से बदल रहा है, इस पर जोर देते हुए सीजेआई ने कहा कि जांच एजेंसियों को अपनी क्षमता का निर्माण करना चाहिए और मामलों को सुलझाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल का उपयोग करना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि जांच एजेंसियों को अपराध में आमूल-चूल बदलाव के साथ तालमेल बिठाना चाहिए.
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