उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बांदा जिले में तैनात महिला सिविल जज को एक पत्र के जरिए जान से मारने की धमकी मिली है. जज ने तीन लोगों के खिलाफ शिकायत दी है. जिसके बाद बांदा पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. वहीं, महिला जज ने पिछले साल दिसंबर में अपने सीनियर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए भारत के चीफ जस्टिस न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक ओपन लेटर लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी.
क्या है पूरा मामला?
सिविल जज ने कोतवाली थाने में तहरीर देकर बताया है कि उसे 28 मार्च को एक धमकी भरा पत्र मिला, जिसमें उसे जान से मारने की धमकी दी गई है. महिला जज ने आरोप लगाते हुए कहा कि उसे विश्वास है कि पत्र रविन्द्र नाथ दुबे, अनिल शुक्ल और कृष्णा द्विवेदी के षड्यंत्र से भेजा गया है.
उन्होंने कहा कि पत्र रवि उपाध्याय के नाम से भेजा गया है कि लेकिन ये फर्जी है, इसलिए पोस्ट ऑफिस के सीसीटीवी की जांच कराई जाए. सिविल जज ने कहा कि उन्हें अपनी जान का खतरा है, इसलिए वो मांग करती हैं कि FIR दर्ज कर पूरे मामले का खुलासा किया जाए.
बांदा पुलिस ने सिविल जज की तहरीर पर आईपीसी की धारा 467 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की है.
CJI को पत्र लिख, क्या आरोप लगाये थे?
महिला जज ने 14 दिसंबर को CJI को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि एक जिला न्यायाधीश (जो उनसे सीनियर थे) और उनके सहयोगियों ने उनका यौन उत्पीड़न किया. जज ने पत्र में कहा, "मेरी नौकरी के थोड़े से समय में मुझे ओपन कोर्ट के डायस पर दुर्व्यवहार का दुर्लभ सम्मान मिला है. मेरे साथ हर सीमा तक यौन उत्पीड़न किया गया है. मेरे साथ पूरी तरह से कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है. मुझे ऐसा लगता है कि मैं बेकार कीड़ा-मकोड़ा हूं."
उन्होंने आगे लिखा कि अगर कोई महिला सोचती है कि आप सिस्टम के खिलाफ लड़ेंगी. मैं आपको बता दूं, मैं नहीं कर सकी और मैं जज हूं. सिविल जज ने पत्र के आखिरी में सवाल किया: "जब मैं खुद निराश हूं तो मैं दूसरों को क्या इंसाफ दूंगी?"
जानकारी के अनुसार, सिविल जज के यौन उत्पीड़न संबंधी आरोपों की जांच हाईकोर्ट द्वारा कराई जा रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)