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रविवार, 14 नवंबर को राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) के एक समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने कहा कि न्यायाधीशों को निर्णय लिखते समय एक भाषा का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि उनके फैसलों का बहुत बड़ा असर होता है, और आम आदमी को समझने की जरूरत होती है.
उन्होंने कहा कि संवैधानिक अदालतें हाशिए पर खड़े लोगों के साथ हैं और भारतीय न्यायपालिका इस कल्याणकारी राज्य को आकार देने में सबसे आगे रही है.
CJI ने आगे कहा कि संवैधानिकता को बनाए रखने की हमारी क्षमता हमारे त्रुटिहीन चरित्र को बनाए रखती है. लोगों के यकीन पर खरा उतरने का हमारे पास कोई दूसरा तरीका नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा आयोजित 'पैन-इंडिया लीगल अवेयरनेस एंड आउटरीच कैंपेन' के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे.
उन्होंने अपनी स्पीच में देश के लाखों लोगों की गरीबी और अन्य बीमारियों के मद्देनजर NALSA की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा कि NALSA में हम जो काम करते हैं वह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, नेहरू की जयंती के मौके पर आज हम एक यादगार मौके पर हैं.
उन्होंने कहा कि हाशिए के समुदायों की स्थिति सुधार में प्रशिक्षित कानूनी सहायता व्यवसायी बड़े बदलाव ला सकते हैं. वे उन्हें एक पुनर्स्थापना पथ पर मार्गदर्शन करने के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति हैं. इसके अलावा लॉ स्टूडेंट्स भी कानूनी सहायता आंदोलन में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.
अंत में उन्होंने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके संरक्षण और कानूनी सहायता आंदोलन को बढ़ावा देने में मदद के लिए शुक्रिया कहा.
उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और NALSA अध्यक्ष, न्यायमूर्ति यूयू ललित को भी धन्यवाद दिया.
बता दें कि इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी मौजूद थे.
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