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उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में 50 बच्चों के यौन शोषण की खबर ने एक बार फिर चाइल्ड पॉर्नोग्राफी पर एक बार फिर बहस छिड़ी है. भारत में हर साल हजारों बच्चे चाइल्ड पॉर्नोग्राफी का शिकार बनते हैं, और इस ताजा मामले ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि आखिर भारत अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या कर रहा है.
चित्रकूट में एक जूनियर इंजीनियर को बच्चों के यौन शोषण करने और उनका वीडियो डार्कवेब पर बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. आरोपी का नाम रामभवन है जिसे बांदा से गिरफ्तार कर अब जेल भेज दिया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये इंजीनियर पिछले 10 साल से इस वारदात को अंजाम दे रहा था.
रामभवन जैसे पीडोफाइल (बच्चों की ओर सेक्शुअली अट्रैक्ट होने वाले लोग) सिर्फ एक शहर में नहीं हैं, बल्कि इनका धंधा पूरे देश में फैला है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी रामभवन ये वीडियो देश और विदेशों में भी कई लोगों को बेचा करता था.
हाल ही में केरल और महाराष्ट्र से भी हाल ही में दो बड़े मामले सामने आए हैं. लॉकडाउन लगने के बाद अप्रैल महीने में महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बताया था कि महाराष्ट्र पुलिस ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामलों में 133 एफआईआर कर्ज की और 46 लोगों को इसमें गिरफ्तार किया. इसके अलावा केरल में भी इसी साल जून महीने में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के केस में 47 लोगों को गिरफ्तार किया गया. केरल पुलिस ने इन आरोपियों के पास से 140 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी जब्त की थीं. इस मामले में केरल पुलिस ने लगातार रेड मारी थीं.
इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड ने पाया कि लॉकडाउन में भारत में चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के कंजप्शन में 95% तक बढ़ोतरी हुई. वहीं, देश के बड़े शहरों में 'चाइल्ड पोर्न, 'सेक्सी चाइल्ड' और 'टीन सेक्स वीडियो' नाम से इंटरनेट सर्च में बढ़ोतरी हुई थी. बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसपर गूगल, फेसबुक और वॉट्सऐप को नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा था.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पिछले साल अमेरिका स्थित नॉन-प्रॉफिट संगठन नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (NCMEC) से टाईअप किया था. NCMEC को नागरिकों, सर्विस प्रोवाइडर और सॉफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट के बारे में पता चलता है. इस साल जनवरी तक भारत को चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मैटेरियल (CSAM) के मामलों की 25,000 रिपोर्ट्स मिल चुकी थीं.
द हिंदू की अप्रैल 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज मैटीरियल (CSAM) सबसे ज्यादा भारत से पाया गया. इस ग्लोबल लिस्ट में, टॉप चार देशों में से तीन दक्षिण एशिया से थे.
जनवरी में आए NCRB के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2018 में पॉक्सो एक्ट के तहत 39,827 मामले दर्ज किए गए, यानी हर दिन करीब 109 मामले. 2017 के आंकड़ों (32,608 केस) के मुताबिक ये करीब 22% का उछाल था. वहीं, इसमें रेप के करीब 21,605 मामले थे, जिसमें से 21,401 मामले लड़कियों के रेप और 204 लड़कों के रेप के थे.
चाइल्ड पॉर्नोग्राफी और इससे जुड़े अपराध भारत में पॉक्सो एक्ट के तहत आते हैं. इसपर लगाम लगाने के लिए पिछले साल सरकार ने इसकी परिभाषा में बदलाव किया. केंद्रीय कैबिनेट ने पॉक्सो एक्ट में संशोधन कर चाइल्ड पॉर्नोग्राफी अपराध के दायरे को बढ़ाया. संशोधन के बाद, किसी बच्चे को शामिल करते हुए sexually explicit conduct का कोई भी विजुअल डिपिक्शन जिसमें तस्वीर, वीडियो, डिजिटल या कंप्यूटर से बनाई गई फोटो का इस्तेमाल हो, को चाइल्ड पॉर्नोग्राफी माना गया था.
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