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पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) के सम्मान में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है. बाल दिवस को 'Children's Day' भी कहा जाता है. यह भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धांजलि देने का दिन है. 'चाचा नेहरू' के नाम से जाने जाने वाले देश के पहले प्रधान मंत्री पंडित नेहरू एक राजनेता से कहीं ज्यादा थे; वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जो युवा दिमागों के विकास की उपचार शक्ति में विश्वास करते थे.
बच्चों के प्रति उनका लगाव इतना ज्यादा था कि उनके जन्मदिन 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस के मौके पर हम आपको पंडित जवाहरलाल नेहरू की जिंदगी के बारे में 10 रोचक फैक्ट बताते हैं.
पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीर के एक पंडित परिवार से थे. उनकी दो बहनें थीं जिनका नाम विजय लक्ष्मी पंडित (बड़ी बहन) और कृष्णा हथीसिंग (छोटी बहन) था.
पंडित जवाहरलाल नेहरू को कभी नोबेल पुरस्कार नहीं मिला, हालांकि उन्हें 1950 और 1955 के बीच 11 बार इसके लिए नॉमिनेट किया गया था.
वर्ष 1907 में कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला लेने के बाद नेहरू जी ने वर्ष 1910 में प्राकृतिक विज्ञान में ऑनर्स की डिग्री हासिल की.
वह अगस्त 1912 में भारत लौट आए और इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक वकील के रूप में रजिस्ट्रेशन करके खुद को बैरिस्टर के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया.
नेहरू 1929 में कांग्रेस अध्यक्ष बने और आजादी के लिए चल रही लड़ाई में एक प्रमुख भूमिका निभाई, जिसका नेतृत्व कांग्रेस कर रही थी.
1935 में जेल में रहते हुए उन्होंने एक आत्मकथा भी लिखी. इसका नाम "टुवार्ड फ़्रीडम" था, जो 1936 में संयुक्त राज्य अमेरिका में रिलीज हुई थी.
27 मई 1964 को पंडित नेहरू का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया और लगभग 15 लाख लोग उनके दाह संस्कार को देखने के लिए इकठ्ठा हुए थे.
देश की आजादी की लड़ाई के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू को नौ अलग-अलग बार जेल भेजा गया. कुल मिलाकर, अंग्रेजों ने नेहरू को 3259 दिनों तक कैद में रखा, जो उनके जीवन के 9 वर्षों के बराबर है.
वह वर्ष 1927 में पूर्ण राष्ट्रीय स्वतंत्रता का प्रस्ताव रखने वाले और भारतीय सिविल सेवा (ICS) सहित भारतीयों को ब्रिटिश साम्राज्य से जोड़ने वाले सभी संबंधों को त्यागने वाले पहले व्यक्ति थे.
कार्यकर्ता के काम की जबरदस्त प्रशंसा और समर्थन के कारण नेहरू जी एनी बीसेंट की 1916 में स्थापित होम रूल लीग में भी शामिल हो गए. पंडित जवाहरलाल नेहरू को "आधुनिक भारत के वास्तुकार" के रूप में भी जाना जाता है.
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