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भारत और चीन के बीच सब कुछ ठीक होने की खबरों के बीच एक बार फिर चीन ने भारत में घुसपैठ करने की कोशिश की है. पेंगौंग त्यो झील के पास चीनी सैनिक पूरी तैयारी की साथ एलएसी की तरफ बढ़ रहे थे, लेकिन पहले से तैयार भारतीय सेना ने उसे एक बार फिर पीछे धकेल दिया. इस दौरान दोनों तरफ के जवान एक बार फिर आमने-सामने आए. अब इस घटना से ये साफ हो चुका है कि चीन किसी भी हाल में पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है और चीन भारत पर लगातार सैन्य कार्रवाई के लिए दबाव बनाया जा रहा है.
पिछले कई हफ्तों से ये बताया जा रहा था कि भारत और चीन में बातचीत जारी है और यथास्थिति को पहले की तरह ही रखा जा रहा है. लेकिन ये भी खबरें सामने आ रही थीं कि चीन एलएसी पर कुछ इलाकों से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. इसमें पेंगौंग त्यो झील का इलाका भी शामिल था, जहां पर 29 अगस्त को ताजा झड़प हुई है.
पहले आपको ताजा घटना की जानकारी देते हैं. दरअसल 29 अगस्त की देर रात को चीनी सेना ने एलएसी पर भारत की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया. बताया गया कि पेंगौंग त्यो झील के पास चीन के करीब 200 सैनिक हथियारों के साथ आगे बढ़ रहे थे, भारतीय सेना ने चीनी जवानों को बढ़ता हुआ देखकर तुरंत मोर्चा संभाला और दीवार बनकर एक बार फिर उनके सामने खड़े हो गए. बताया गया कि चीनी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोकने के दौरान तीखी झड़प भी हुई. लेकिन आखिरकार चीनी सेना नाकाम रही और उन्हें लौटना पड़ा.
भारत और चीन के जवानों के बीच 15 जून की रात गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद बातचीत का दौर शुरू हुआ था. सैन्य स्तर की बाचतीत से कोई हल नहीं निकलने पर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री से बात की. कई घंटे चली इस बातचीत के बाद बताया गया कि अब दोनों देशों में एक समझौता हुआ है और धीरे-धीरे डिसइंगेजमेंट का प्रोसेस शुरू होगा. डिसइंगजमेंट को लेकर भी खबरें सामने आईं और बताया गया कि दोनों देशों की सेनाएं एलएसी से कुछ किलोमीटर पीछे हटी हैं. लेकिन फिर बताया गया कि कुछ इलाकों से चीनी सेना पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. जिन पर लगातार नजर बनाई जा रही थी.
चीन की लिबरेशन पीपुल्स आर्मी का ये रवैया अब कई बातों की तरफ इशारा कर रहा है. सबसे पहले तो ये कि चीन भारतीय जमीन पर कहीं न कहीं कब्जा करने की फिराक में है. इसके लिए वो बार-बार ऐसी कोशिशों में जुटा है. वहीं दूसरी बात ये है कि चीन भारतीय सेना को लगातार एलएसी पर उकसाने का काम कर रहा है. चीन चाहता है कि भारत की तरफ से सैन्य कार्रवाई हो, जिसके बाद वो इसका इल्जाम लगाकर भारत के खिलाफ मोर्चा खोल सके. इसीलिए ये सब दबाव बनाने की एक कोशिश है.
बातचीत के दौरान ही चीनी एयरबेस की कुछ सैटेलाइट तस्वीरें सामने आने लगी थीं. जिनमें साफ देखा गया कि चीन ने अपने खतरनाक बॉम्बर एयरक्राफ्ट और फाइटर जेट एलएसी के पास तैनात कर दिए हैं. इसके अलावा ये भी बताया गया था कि चीन के 7 एयरबेस पर लगातार हलचल जारी है. जिन पर भारतीय एजेंसियां कड़ी नजर बनाए हुए हैं. चीन के जिन 7 मिलिट्री एयरबेस पर खास नजर रखी जा रही है, उनमें- होतान, गार गुंसा, काशगर, होप्पिंग, कोंका जॉन्ग, लिंझी और पंगत एयरबेस शामिल हैं.
अब चीनी सेना की तैयारी और लगातार किया जा रहा समझौतों के उल्लंघन के बारे में तो हमने आपको बता दिया. लेकिन इस सबके बीच भारत की तैयारियों को भी देखना जरूरी है. भारत की पहली कोशिश ये रही है कि बातचीत से मुद्दा सुलझा जाए, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है. लेकिन ऐसा नहीं है कि भारत ने सीमा पर तैयारी नहीं की है. भारत चीन के रवैये को 1962 से ही पहचानता है, जैसे तब चीन ने अचानक भारतीय सीमा में धोखे से घुसपैठ कर युद्ध छेड़ दिया था वैसी ही हरकत चीन फिर से दोहरा सकता है. इसीलिए भारत ने हजारों जवान एलएसी पर तैनात किए हैं.
इसे लेकर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने भी हाल ही में सैन्य विकल्प के संकेत दिए थे. उन्होंने चीन की हरकतों को लेकर कहा था,
इसके अलावा भारतीय एयरफोर्स ने चीन की सीमा के पास कई फाइटर जेट तैनात कर दिए गए हैं. जिनमें सुखोई-30, मिग-29 और मिराज-2000 फाइटर जेट शामिल हैं. इन सभी विमानों को फॉरवर्ड एयर बेसेस पर तैनात किया गया है. जिससे कि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके. चीन की हर छोटी हरकत पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.
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