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चीन ने रविवार को भारत के आर्मी चीफ बिपिन रावत के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि रावत का बयान बिलकुल 'क्रिएटिव' नहीं है, इससे सीमा पर शांति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. जनरल रावत ने पिछले हफ्ते कहा था कि भारत को अपना ध्यान पाकिस्तान से सटी अपनी पश्चिमी सीमा से हटाकर चीन से सटी अपनी उत्तरी सीमा पर केंद्रित करने की जरूरत है. उन्होंने ये भी कहा था कि अगर चीन शक्तिशाली है तो भारत भी कमजोर नहीं है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, "पिछले एक साल के दौरान भारत और चीन के संबंधों में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं." लू ने कहा कि बीते सितंबर में भारत-चीन के नेताओं के बीच दोनों पक्षों के मतभेदों को सही तरीके से दूर करने और भारत-चीन संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ अहम मुद्दों पर सहमति बनी थी.
लू ने कहा, "हाल में दोनों पक्षों ने परामर्श और दोनों देशों के संबंधों पर बातचीत को आगे बढ़ाया है और सुधार और विकास को गति प्रदान की है."
लू ने आगे कहा, "ऐसे में भारत के वरिष्ठ अधिकारियों की टिप्पणी राष्ट्र के दो प्रमुखों की सहमति के खिलाफ है और दोनों पक्षों के विकास के लिए की गई कोशिशों के खिलाफ है.
सेना प्रमुख रावत ने 12 जनवरी को कहा था कि चीन एक ताकतवर देश, लेकिन भारत भी कमजोर नहीं है. उन्होंने चीन से लगी देश की उत्तरी सीमा पर ज्यादा फोकस करने पर जोर दिया था. बता दें कि इसी दिन जनरल रावत ने पहली बार भारत, भूटान और चीन से लगे डोकलाम पर भारत-चीन गतिरोध के बारे में बातचीत की. ये गतिरोध दो महीने से ज्यादा समय तक चला था. इस गतिरोध के बात से ही आर्मी चीफ का रूख पाकिस्तान के साथ-साथ चीन के लिए काफी कड़ा देखने को मिला है.
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