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कश्मीरी लगा रहे बेरहमी से पिटाई का आरोप,सेना का इनकार: BBC रिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए हुए तीन हफ्तों से ज्यादा का समय बीत चुका है.

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जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए हुए तीन हफ्तों से ज्यादा का समय बीत चुका है.
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जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए हुए तीन हफ्तों से ज्यादा का समय बीत चुका है.
(फोटो: Twitter/BBC)

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ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट बीबीसी ने 29 अगस्त को कश्मीर मामले पर एक रिपोर्ट पब्लिश की है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कश्मीर में सेना की ओर से नागरिकों को प्रताड़ित किया जा रहा है. कुछ गांववालों ने कश्मीर में तैनात सुरक्षाबलों पर पिटाई और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. हालांकि सेना ने इन आरोपों को आधारहीन बताया है.

बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "कई गांववालों ने हमें बताया है कि उन्हें डंडों और केबल से पीटा गया. बिजली के झटके दिए गए. ग्रामीणों ने हमें अपने घाव भी दिखाए. लेकिन अधिकारियों ने इन आरोपों की पुष्टि नहीं की है."

जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए हुए तीन हफ्तों से ज्यादा का समय बीत चुका है. सरकार की ओर से राज्य में पाबंदियां लगाए जाने के बाद अब धीरे-धीरे ढील दी जा रही है. हालांकि अभी भी पूरे तरह पाबंदियों को नहीं हटाया जा सका है. मीडिया पर पाबंदी की वजह राज्य से सटीक जानकारी सामने नहीं आ पा रही है. अलग-अलग मीडिया ग्रुप अपने-अपने सूत्रों के हवाले से कश्मीर की स्थिति को जनता के सामने रख रहे हैं.

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'रात में छापेमारी, पिटाई और टॉर्चर'

बीबीसी के संवाददाता ने अपनी रिपोर्ट में बताया, उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दक्षिणी जिलों के कम से कम आधा दर्जन गांवों का दौरा किया. उन्होंने बताया, वहां कई लोगों से रात में छापेमारी, पिटाई और टॉर्चर किए जाने की दास्तान सुनी.

डॉक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी पत्रकारों को किसी भी मरीज की कोई जानकारी नहीं देते. लेकिन गांववालों ने अपने जख्म दिखाते हुए हमें सारी सच्चाई बयान कर दी. ये जख्म उन्हें कथित तौर पर सुरक्षाबलों की पिटाई से हुए थे. लेकिन उन्होंने कार्रवाई के डर से अपनी पहचान छिपाई रखी.
संवाददाता, बीबीसी

एक ग्रामीण ने बीबीसी के संवाददाता को बताया, "हमें लात, डंडे, केबल से पीटा गया. जब हम बेहोश हो गए तो होश में लाने के लिए बिजली के झटके दिए. हम निर्दोष हैं. हमने उनसे कहा कि हमें मत मारो, लेकिन हमारी एक न सुनी." ग्रामीणों का कहना है कि सुरक्षाबल उनसे बार-बार पत्थरबाजों के नाम बताने के लिए कह रहे थे.

भारतीय सेना ने बीबीसी से कहा कि आरोप गलत हैं, उनकी ओर से किसी नागरिक की पिटाई नहीं की गई है. सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा, "इस तरह का कोई मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है. संभव है कि विरोधी लोग इस तरह की अफवाह फैला रहे हो."

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Published: 30 Aug 2019,07:18 PM IST

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