ADVERTISEMENTREMOVE AD

कश्मीर पर भारतीय और इंटरनेशनल मीडिया की कवरेज में इतना अंतर क्यों?

आर्टिकल 370 हटने के बाद भारतीय और इंटरनेशनल मीडिया कश्मीर की अलग-अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

आर्टिकल 370 हटने के बाद भारतीय और इंटरनेशनल मीडिया कश्मीर की अलग-अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने दिखाया कश्मीर में प्रदर्शन हो रहा है, भारतीय मीडिया कहता रहा घाटी में 'हालात सामान्य' हैं.

0

शुक्रवार, 9 अगस्त को रॉएटर्स, बीबीसी और अल जजीरा ने श्रीनगर के सौरा में एक बड़े प्रदर्शन की खबर दी. ये भी दिखाया कि प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाकर्मियों ने गोली चलाई लेकिन किसी भारतीय चैनल ने इसे कवर नहीं किया.

रिपब्लिक चैनल के अर्नब गोस्वामी ने इसे 'फेक न्यूज' करार दिया

अगर ये एक फेक न्यूज थी, झूठा, गंदा और प्रायोजित झूठ था तो मैं सरकारी मदद से चलने के बावजूद खत्म होने के कगार पर खड़े बीबीसी से पूछना चाहता हूं, देश पूछना चाहता है, आपका इरादा क्या है?
अर्नब गोस्वामी

इंटरनेशनल मीडिया ने कश्मीर की परेशान करने वाली तस्वीरें दिखाई हैं. लेकिन भारतीय चैनलों ने इसे आम तौर पर नजरअंदाज कर दिया है. उदाहरण के लिए टाइम मैगजीन और द न्यूऑर्क टाइम्स के मुताबिक कश्मीर में 2000 लोगों को हिरासत में लिया गया है लेकिन टाइम्स नाउ के मुताबिक जिन्हें हिरासत में लिया गया है उनमें से कई आतंकवादी हैं.

ब्रिटिश अखबार द इंडीपेंडेंट ने खबर दी कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़पों में मारे गए लोगों की डेथ सर्टिफिकेट देने से इंकार कर रहा है लेकिन इस खबर को किसी भारतीय चैनल ने नहीं दिखाया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अमेरिकी मैगजीन फोरेन पॉलिसी ने खबर दी कि सुरक्षाबलों ने कश्मीरियों को वंदे मातरम बोलने के लिए मजबूर किया. जबकि दूसरी तरफ इंडिया टीवी ने दिखाया कि जवान कश्मीरियों की सुरक्षा में लगे हैं.

रॉएटर्स ने कश्मीर के लोकल पत्रकारों को आ रही दिक्कतों के बारे में बताया तो ओपन मैगजीन के राहुल पंडिता ने इन्हीं लोकल जर्नलिस्ट का मजाक उड़ाया कि “जो पांच मिनट के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं ढूंढ सकते वो कैसे पत्रकार हैं?”

बीबीसी और AP के कैमरों ने दिखाया कि दवाइयों की कमी की शिकायत  कर रहे एक डॉक्टर को सुरक्षाकर्मी पकड़ कर ले जा रहे हैं लेकिन इस डॉक्टर का दर्द किसी भारतीय चैनल पर नजर नहीं आया. हालांकि इंडियन चैनलों ने इतना जरूर याद दिलाया कि विदेशी मीडिया ने ये नहीं दिखाया कि भीड़ ने ट्रक ड्राइवर नूर मोहम्मद की हत्या कर दीऔर आतंकवादियों ने दो नागरिकों को मार डाला.

भारतीय मीडिया में से कुछ ने भ्रामक जानकारियां भी दीं ANI ने जम्मू के भठिंडी स्थित मक्का मस्जिद में हुई ईद की नमाज को श्रीनगर में हुई नमाज बता दिया. कई प्रकाशकों ने ANI के इस वीडियो और तस्वीरों को चलाया. उन्होंने इसे कन्फर्म करने की जरूरत भी नहीं समझी. कई चैनलों ने दिखाया कि कश्मीरी अजीत डोवाल से बड़े आराम से बातचीत कर रहे हैं, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पीएम के प्रमुख सलाहकारों में से एक हैं.

लेकिन दूसरों ने दिखाया कि जो लोग डोवाल से बातचीत कर रहे थे वो उन्हें जानते तक नहीं थे. कुछ पत्रकारों ने दिखाया कि मोहम्मद अशरफ आजाद नाम का कश्मीरी आर्टिकल 370 पर सरकार के फैसले का समर्थन कर रहा है. लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया कि वो बीजेपी के नेता भी हैं. कश्मीर के बारे में आधी-अधूरी जानकारी देकर शायद कई चैनल प्रेस काउंसिल के इस फलसफे को फॉलो कर रहे हैं कि कुछ खबरों को न दिखाना ही बेहतर है!

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें