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सुप्रीम कोर्ट में मामलों के आवंटन का अधिकार केवल CJI को ही: SC

बेंच गठन के लिए दिशा-निर्देश तय करने की मांग के लिए पीआईएल याचिका की गई थी दाखिल

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इस बात पर काफी बहस हुई है कि जजों के करप्शन की जांच कैसे हो? किसी बाहरी एजेंसी से या फिर न्यायपालिका के अपने ही सिस्टम से?
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इस बात पर काफी बहस हुई है कि जजों के करप्शन की जांच कैसे हो? किसी बाहरी एजेंसी से या फिर न्यायपालिका के अपने ही सिस्टम से?
(फोटो: The Quint)

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सुप्रीम कोर्ट में किसी भी केस के आवंटन का अधिकार केवल चीफ जस्टिस के पास ही रहेगा. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस अपने ‘समकक्षों में प्रथम हैं और मुकदमों के आवंटन और उनकी सुनवाई के लिए किसी भी बेंच के गठन का संवैधानिक अधिकार उन्हीं को है.

बेंच गठन के लिए दिशा-निर्देश तय करने की मांग

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ की बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया. वकील अशोक पांडे ने अपनी इस याचिका में मुकदमों के तर्कपूर्ण और पारदर्शी आवंटन और उनकी सुनवाई के लिए बेंच के गठन के संबंध में दिशा-निर्देश तय करने की मांग की थी.

जस्टिस चन्द्रचूड़ ने संवैधानिक उपचार का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश समकक्षों में प्रथम हैं और मुकदमों के आवंटन तथा पीठों के गठन का अधिकार उनके पास है.’’ 

आदेश में कहा गया है कि भारत के चीफ जस्टिस उच्च संवैधानिक पदाधिकारी हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान के तहत आने वाले कामों को सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा निभाई जाने वाली जिम्मेदारियों को लेकर कोई अविश्वास नहीं हो सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उठाया था इस मामले को(फोटोः ANI)

चार जजों ने उठाया था इस मामले को

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की तरफ से 12 जनवरी को केसों के आवंटन को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी. इन जजों ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान भारत के चीफ जस्टिस द्वारा मुकदमों के असंतुलित आवंटन का आरोप लगाया था. इसके बाद आशोक पांडेय ने मामले की सुनवाई के लिए पारदर्शी तरीके से बेंच के आवंटन को लेकर ये याचिका दाखिल की गई थी.

(इनपुटः PTI)

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Published: 11 Apr 2018,01:07 PM IST

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