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भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (NV Ramana) ने 18 अगस्त को उन मीडिया रिपोर्ट्स की कड़ी आलोचना की, जिसमें दावा किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए नौ जजों की सिफारिशों की एक सूची को अंतिम रूप दिया है.
18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जस्टिस नवीन सिन्हा के संदर्भ में बोलते हुए, सीजेआई ने कहा कि "मीडिया के कुछ वर्गों में, जबकि प्रक्रिया अभी लंबित है, प्रस्ताव को औपचारिक रूप देने से पहले ही अटकलबाजी करना प्रतिकूल है".
कुछ समाचार पत्रों और लीगल न्यूज पोर्टलों की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने सरकार को भेजे जाने वाले नौ नामों को मंजूरी दे दी थी, जिसमें तीन महिला न्यायाधीश भी शामिल थीं, जिनमें से एक, जस्टिस बीवी नागरत्ना (वर्तमान में कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश) के पास मौका था कि वो 2027 में भारत की पहली महिला CJI बन सकती थीं.
कहा जा रहा था कि 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने शीर्ष अदालत के जजों के लिए किसी भी सिफारिश को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था, अगर उसमे जस्टिस कुरैशी का नाम शामिल नहीं किया गया.
सीजेआई रमना ने रिपोर्ट्स की "अटकलबाजियों" पर आपत्ति जताते हुए कहा,
"आप सभी जानते हैं कि हमें इस अदालत में न्यायाधीशों को नियुक्त करने की आवश्यकता है...प्रक्रिया चल रही है. बैठकें होंगी और निर्णय लिए जाएंगे. जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया पवित्र है और इससे कुछ गरिमा जुड़ी हुई है. मेरे मीडिया मित्रों को इस प्रक्रिया की पवित्रता को समझना और पहचानना चाहिए."
साथ ही CJI ने उन पत्रकारों की भी सराहना की जिन्होंने लीक हुई जानकारी को रिपोर्ट नहीं किया था.
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